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वर्ल्डकप की हायतौबा !

शुक्रवार, मई 14, 2010

टीम इंडिया इस बार तुम टी 20 वर्ल्ड कप लेकर ही आना....फिर लाना है वर्ल्ड कप...फिर जीतेगा टीम इंडिया... वर्ल्डकप से ठीक पहले सारे अखबार सारे टीवी चैनल परेशान थे। टीम तो वर्ल्डकप से बाहर हो गयी लेकिन खबरें अब भी बरकरार हैं....हां ये बात अलग है कि इस बार टीम इंडिया की बखिया उधेड़ी जा रही है....हार के बाद चाहे वो किसी बार में जाये या फिर बीच पर..हर हरकत पर कड़ी नजर है। और सभी को एक ही चश्में देखा जा रहा है। हार के चश्मे से।

भारत की हार से दिक्कत आम भारतीय को है या नहीं पता नहीं...क्योंकि मै तो आज भी ऑफिस आता हूं। अपना काम करता हूं। शायद बाकी लोग भी यही करते है..लेकिन मज़े की बात ये है कि टीवी चैनल्स को सदमा गहरा लगा है। उबर नहीं पा रहे है टीम की हार से। हार के बाद धोनी हंस क्यों रहे है। युवराज ने फ्रेंच दाढ़ी क्यों रखी है। आशीष नेहरा फैंसी टी शर्ट क्यों पहन रहे हैं। हमें परेशानी बहुत होती है। हार का सदमा ऐसा लगा है कि उबर नहीं पा रहे हैं। मैच के हार के कारण कुछ भी हो लेकिन गुनहगार हर कोई खोज रहा है। कोई धोनी तो कोई युवराज बता रहा है। अब इसके गुनहगार को पकड़ना देश की बाकी परेशानियों से ज्यादा बड़ी खबर है। किसी चैनल पर देख रहा हूं कि टीम इंडिया को फटकार कुछ इस तरह पड़ रही है। देश गुस्से में था औऱ टीम पब में थी। ये  बात ठीक है कि शराब पीना सेहत के लिये हानिकारक है तो इसका मतलब ये तो नहीं कि देश को गुस्सा सिर्फ टीम की हार का है। देश तो और भी कई बातों पर गुस्सा होता है। क्रिकेट पर गुस्सा उतार कर क्या करेगा देश.... ये कोई क्यों नहीं सोचता। क्या भारतीय टीम ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया कभी । मीडिया का गुस्सा टीम की हार से है या आईपीएल मैचों से। मै तो आईपीएल देखना पसंद नहीं करता लेकिन यहां पर गुस्सा आईपीएल से है...न कि वर्ल्ड कप की हार से।

हो सकता है कि गुनहगार धोनी को टीम इंडिया की कप्तानी से भी हाथ धोना पड़े। ये कोई भविष्यवाणी नहीं है। लेकिन जिस तरह के हालात मीडिया बना रहा है ये मुमकिन है। मीडिया में धौनी ने जो भी कहा वो सही कहा। टीम थकी हुई लग रही थी। किसी खिलाड़ी के खेल में उत्साह नहीं झलक रहा था। जीत की ललक नहीं थी। वर्ल्ड कप जैसे मुकाबलों में जीत की ललक न होना शर्मनाक है। ये भी गलत नहीं है कि आईपीएल भी इसका एक बड़ा कारण है। लेकिन इसके पीछे कारण पैसा नहीं है। ज्यादा खेल है। बीसीसीआई पैसे छाप रही है, टीम इसके लिये पैसे छापने की मशीन है। रही बात खिलाडियों के प्रदर्शन की है तो जिन विदेशी खिलाड़ियों ने हमारी पिचों पर जो धमाकेदार प्रदर्शन किया है उन्ही खिलाड़ियों ने वर्ल्डकप में भी अच्छा प्रदर्शन करके अपनी टीम को सफलता दिलवाई है। हमारी टीम में भी सुरेश रैना जैसा उदाहरण है। लेकिन इस पर नजर किसी की नही गयी।

वर्ल्डकप में कौन जीता कौन हारा उससे देश को क्या फर्क पड़ेगा मुझे तो आजतक समझ नहीं आया। यही टीम इंडिया ने जब पहली बार टी 20 वर्ल्ड कप जीता था तो तब भी मै अपने ऑफिस में रोज़ाना के काम पर जाता था औऱ जब टीम आज बाहर हुई तब भी यही कर रहा हूं। सोचता हूं कि टीम जब जीती थी तो कम से कम नोएडा वालों को बिजली और पानी तो 24 घंटे न सही 20 घंटे ही दे देते...अरे टीम इंडिया ने वर्ल्ड कप जीता था यार ट्वेंटी ट्वेटी घंटे ही दे देते...

कल का मैच फिक्स था...चेन्नई का जीतना तय था...

सोमवार, अप्रैल 26, 2010

चेन्नई का जीतना तय था। अब इसे महेद्र सिंह धौनी कि काबिलियत कहें या फिर उनकी किस्मत। चेन्नई सूपरकिंग्स के ओवरऑल परफार्मेन्स पर नजर डालें तो इस बात से कोई मना नहीं कर सकता ही कि मुंबई इंडियंस की टीम चेन्नई से कही ज्यादा मजबूत और अच्छा परफार्म कर रही थी। लेकिन फाइनल में पासा पलट गया। चेन्नई की जीत के नायक रहे सुरेश रैना..मुंबई इंडियस की तरफ से सचिन के अलावा सभी ने धोखा दिया, पोलार्ड ने कुछ अच्छे हाथ दिखाये...लेकिन टीम का उल्टा धौनी यानी सौरभ तिवारी कुछ नहीं कर पाये।

चेन्नई जीत तो उस वक्त ही तय हो गयी थी जब उन्होने टॉस जीता था। आईपीएल के पहला सेमीफाइनल मैच देखने के बाद अगले दो मैचों की भविष्यवाणी तो मैने कर दी थी कि कौन जीतने वाला है। तो फिर धुरंधरों को समझ में क्यो नहीं आ रहा होगा। दोनों सेमीफाइनल औऱ फाइनल मैचों में टॉस ही सारी भूमिका तय कर दे रहा था। टॉस जीतो मैच जीतो। सीधा सा फंडा था जिसको समझने में धौनी गलती नहीं कर सकते ..बस सचिन की किस्मत ने साथ नहीं दिया नहीं तो टॉस के साथ मैच भी वही जीतते। 

इस मैच की जीत के साथ ये तय हो गया कि सचिन कितनी भी कोशिश करले लेकिन उनकी कप्तानी में कोई टीम या कहें कि उनकी उपस्थिति में कोई टीम कप नहीं ला सकती। शायद इसीलियें सचिन ने टी20 मैचो में खेलने से इंनकार कर दिया है। जिस तरह से उनके न रहते हुए टीम ने पहले ही वर्ल्ड कप में चैंपियन बन गयी, सचिन को ये बात खली तो बहुत होगी पर इसके बाद ही उन्होने तय कर लिया होगा कि वो कच्छा क्रिकेट के फॉरमैट में नहीं खेंलेंगे। वरना आईपीएल में बढ़िया प्रदर्शन, और पूरे देश की भावनाओं के साथ सचिन खिलवाड़ नहीं करते।

ऐसा नहीं है कि मै मुंबई इंडियंस का फैन हूं, ऐसा भी नहीं कि चैन्नई सूपरकिंग्स का दुश्मन हूं। पर इतना ज़रुर है कि पिछले दो तीन मैच में मज़ा नहीं आया। सही कहूं तो आईपीएल में कोई भी टीम जीते या कोई भी टीम हारे.इससे न तो मुझे दुख होता है औऱ . न हीं खुशी। हां भारत जब हारता है तो नींद नहीं आती..लेकिन आईपीएल मे कोई भी जीते कोई भी हारे...कोई फर्क नहीं पड़ता। कोई भी जीते कोई भी हारे। फिर भी लोग आईपीएल को पसंद करते है उनकी पसंद की टीम है। लेकिन मै किसी टीम को पसंद ही नहीं कर पाया।सभी में तो अपने खिलाड़ी खेल रहे है। किसे सपोर्ट करुं ये समझ ही नहीं आया। इसलिये मैच को मैच की तरह देखता हूं।

लेकिन पिछले दो मैच तो फिक्स थे। टॉस जीतना मतलब मैच जीतना

दिल तोड़ के ना जा सानिया- भारत

गुरुवार, अप्रैल 01, 2010

सानिया तुमने भारत में रहने वाले हर भारतीय नौजवान का दिल तोड़ दिया। तुम कैसे किसी और की हो सकता है, और वो भी किसी पाकिस्तानी की। क्या भारत में तुम्हारे लायक कोई नहीं बचा था। तुम्हारे जीतने पर हम कितना खुश होते थे। तुम शादी कर रही हो हमारे लिये तो ये ही काफी है दिल तोड़ने के लिये लेकिन तुमने तो हर भारतीय का दिल तोड़ा है। तुम शोहराब से शादी करने वाली थी, हमें सुकुन हुआ कि चलों कि तुम किसी भारतीय से शादी कर रही हो लेकिन तुमने तो पाकिस्तान के क्रिकेट कप्तान शोएब मलिक को अपना मान लिया। अरे ये वही पाकिस्तानी है तो किसी के नहीं हुए, तो तुम्हारे कैसे हो सकते है।


रही बात शोएब मलिक की तो तुम्हारी ही तरह हैदराबाद की रहने वाली आएशा सिद्दीकी को शादी का वादा करके धोखा दिया है। और तुम्हे  बता दूं कि इसी शोएब ने उसे तलाक तक नहीं दिया है। तुम शादी तो कर लोगी लेकिन उसके बाद तुम्हारा क्या होगा। आखिर तो तुम पर हमारा भी कोई हक है।तुम देश की इज्जत हो, तुमने कई बार देश के लिये सम्मान बढ़ाया है। तो अपनी जि़दगी को क्यो बर्बाद कर रही हो। आएशा के पिता ने तो शोएब पर धोखधड़ी का केस डालने जा रहे है, कम से कम अब तो समझों कि ये शोएब मलिक किसा का नहीं है। ये तो तुम्हारी खूबसूरती का दीवाना है, क्योंकि मै समझ सकता हूं, मैने आयशा की एक तस्वीर देखी थी तुमसे अच्छी नहीं दिखती है। लेकिन शादी के बाद तो तुम्हारी खूबसूरती जब ढल जायेगी तब क्या होगा। तब उसका प्यार किसी तीसरी के चक्कर में पड़ जायेगा फिर। फिर तुम तो उसकी दूसरी पत्नी ही कहलाओगी। अरे अभी तुम्हारी उम्र ही क्या है, मेहनत करो खूब खेलो, टेनिस में और पदक जीतो, तुम्हारे लिये कई युवा हाथों में दिल लिये खड़े रहेंगे। फिर पाकिस्तान के इस नामाकूल खिलाड़ी जिसपर मैच फिक्सिंग तक के आरोप लगे है उसके साथ जीवन बिताने का क्या लाभ।

शोहराब तुम्हारे बचपन का दोस्त था। तुमने उसे छोड़ा हमने मान लिया कि चलो कोई बात नहीं, बचपन का दोस्त अच्छा पति बने ये किसी किताब में तो नहीं लिखा लेकिन शोएब मलिक, ये कहां से पसंद आ गया । कम से कम देश के दुश्मन राष्ट्रों के लोगों से तो विवाह मत करों। हमारा दिल  तुमने इसलिये नहीं तोड़ा कि तुम शादी कर रही हो बल्कि इस लिये तोड़ा है कि तुम पाकिस्तान जा रही हो। अब तुम ये न कहना कि तुम पाकिस्तान में नहीं रहोगी, अरे तुम रहो या न रहो तुम्हारा ससुराल तो पाकिस्तान ही होगा। और तुम वहा बिलकुल सुरक्षित नहीं रहोगी। जिस तरह तुम्हारे स्कर्ट पहनने पर यहां का हम सब और  मीडिया मुस्लिम धर्मगुरुओं के कपड़े उतार लेता है, वैसा पाकिस्तान में नहीं होता है। वहां तो तुम्हे बुर्के में ही रहना होगा, और कोई तुम्हारे मनपसंद कपड़े नहीं पहनने देगा। वो तो भारत के लोग है जो तुम्हारे खेल को समझते है, इसलिये स्कर्ट पहनने पर तुम्हारे साथ उठ खडे़ हुए है,सुसराल गेंदा फूल है वहां नहीं सुनी जायेगी किसी की।

मेरी मानों किसी से भी शादी करो लेकिन देश के बाहर मत जाओ, क्योंकि तुम्हारे जाने से ही देश का दिल टूट जायेगा, भले ही तुम कितना भी कहों कि तुम भारत के लिये खेलोगी लेकिन तुम्हारे ससुराल वाले नहीं मानेंगे।
अब भी वक्त है, शोएब से खुद को बचाओ, किसी भारतीय से शादी कर लो अगर करनी है तो। यहां तो उससे भी कई टैलेंटेड क्रिकेटर हैं, इरफान है, युसुफ है,कैफ है, युवराज है धौनी है, किसी से कर लो यार, कहां पाकिस्तान जाने की फिराक में हो। वहां क्या मिलेगा, सिवाय दिनभर धमाकों की आवाजों के।और पिता के दबाव में मत आना हम तुम्हारे प्रशंसक हैं फिर से हर बार की तरह तुम्हारे साथ खड़े हो जायेगें तुम एक बार आवाज लगा के तो देखों, मगर मत जाओ......

क्रिकेट का सुपरमैन !

बुधवार, फ़रवरी 24, 2010

सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का सुपरमैन कहें तो इसमें कोई दूजी राय नहीं हो सकती है। हां ये अलग बात है कि वो पैंट के उपर चढ्ढी नहीं पहनते है। लेकिन जिस तरह सचिन विरोधी टीम पर हावी होते है उससे इतना होता ही है कि कोई भी गेंदबाज उन्हें गेंद फेंकने से पहले अपनी पैंट को कस कर ज़रुर बांध लेता होगा।

साउथ अफ्रीका के साथ इस माइक्रोमैक्स मोबाइल कप के दूसरे वनडे में सचिन द्वारा बनाये गये नाट आउट दो सौ रनों की पारी मेरे ज़ेहन में तब तक रहेगी जब तक मेरी सांसे चलेंगी। दुनिया का हर क्रिकेट प्रेमी या खिलाड़ी जानता है कि सचिन की नकल अगर कोई कर सकता है तो वो सिर्फ सचिन तेंदुलकर ही है

सचिन की ये पारी उनके साथ साथ भारत के हर क्रिकेट प्रेमी के लिये अहम है। क्योंकि जब हमारी जेनरेशन अपने बुढापे को देख रही होगी तो कम से कम हम अपने बच्चों को ये कह सकते है कि हमने सचिन की वो पारी देखी थी जिसमें सचिन ने वन डे मैच में दोहरा शतक जमाया था। 

सचिन जैसे खिलाड़ियों को देखना अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धी है। क्योंकि जिस खिलाड़ी का करियर बीस साल लंबा हो और जिस पर कभी खेल भावना का अपमान या किसी भी प्रकार का कोई आरोप न लगा हो, उसको खेलते देखना अपने आप में सुखद अनुभूति है। सचिन ने अपनी पारी में यही कोई पच्चीस चौके लगाये होंगे साथ ही तीन छक्के भी। लेकिन ऐसा नहीं है कि उन्होने कभी इतने चौके या छक्के नहीं लगाये। पहली ही गेंद से लगने लगा था कि सचिन तेंदुलकर हो न हो कम से कम सैंचुरी मारकर ही जायेंगे। ये बात  सिर्फ इसलिये नहीं कह रहा हूं  क्योंकि मै सचिन का फैन हूं पर इसलिये भी क्योंकि पहली बार मुझे लगा कि आज सचिन शतक मारकर जायेगा। अक्सर मै पहले ही डर जाता था कि सचिन कहीं आउट न हो जाये, पर  ऐसा बिलकुल नहीं लगा यहां तक की सचिन के दोहरे शतक के करीब पहुंचने के बाद भी। इसको एक इत्तेफाक भी कह सकते है।

सचिन के दोहरे शतक में जितना बड़ा हाथ सचिन तेंदुलकर का है उससे भी ज्यादा बड़ा हाथ उनके साथ साझेदारी निभाने वाले दिनेश कार्तिक, युसुफ पठान, और महेंद्र सिंह धौनी का है। सचिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भी दोहरे शतक को तोड़ते नजर आ रहे थे लेकिन दूसरे छोर से विकटों की पतझड़ ने एक दबाव पैदा कर दिया था इसी के साथ सचिन तेज़ खेलने के चक्कर में अंट शंट शाट खेलकर विकेट गंवा बैठे। लेकिन इस मैच में ऐसा बिलकुल नहीं हुआ। आज उनकी किस्मत में दोहरा शतक जमाना लिखा हुआ था।  सचिन ने ये दोहरा शतक नाबाद बनाया है यहीं नहीं उनको कोई जीवनदान तक नहीं मिला। पचास ओवर खेलने के बाद भी सचिन तेंदुलकर दो रनों के लिय भाग रहे थे। ये उनकी फिटनेस का नजारा था।

सचिन बिना दबाव के रन बनाते चले गये, जैसे ही सचिन सैचुरी के करीब आये उन्होने सिंगल,डबल पर भरोसा जताया, जब दोहरे शतक के करीब आये तब भी उन्होनें सिंगल डबल से ही अपना दोहरा शतक पूरा किया, इस तरह की बल्लेबाजी उनके एक्सपीरियंस को दिखलाती है। सचिन के बीस साल के करियर में एक समय ये भी आया था जब उनसे पारी की शुरुआत न करने की सलाह ने सचिन के साथ साथ सभी को हैरत में डाल दिया था,लेकिन सचिन की इस उम्र में खेली जा रही पारियों को देखकर कहीं से नहीं लग रहा है कि उनकी उम्र क्रिकेट से सन्यास लेने की हो रही है। सचिन की उम्र वाले ज्यादातर खिलाड़ी संयास लेकर क्रिकेट को देखना ही पसंद करते है लेकिन ये सचिन ही है जिनकी रनों की भूख आज भी वैसी ही है जैसी क्रिकेट के शुरुआती करियर में थी।

आने वाली पीढ़ी के लिये नई चुनौती पेश करने वाले सचिन रमेश तेंदुलकर के रिकॉर्ड  तब तक नहीं टूटेगा जब तक घुंघराले बालों वाला तेंदल्या अगले जन्म में क्रिकेट के मैदान में नहीं उतरेगा।

अरे कोई तो बचाओ हॉकी को....

मंगलवार, जनवरी 12, 2010

अब अगर मेजबान देश के खिलाड़ी ही किसी टूर्नामेंट में भाग न ले रहे हो तो इससे ज्यादा शर्मनाक बात और क्या हो सकती है। आप, हम, और सबको पता है कि हमारा राष्ट्रीय खेल हॉकी है, लेकिन इसकी हालत राष्ट्रीयता जैसी ही हो गयी है। मध्धम बहुत मध्धम। हॉकी को पहले गिल ने चबाया अब जो बिना रस का लच्छा बचा है उसे हॉकी इंडिया के सदस्य चूसे जा रहे है। कुछ दिनों बात ही भारत में हॉकी विश्वकप होने जा रहा है। पहली बार जब ये जानकारी मिली तो बहुत आश्चर्य हुआ, वो इसलिये कि कमाल है कि विश्व कप जैसा बड़ा आयोजन हो रहा है और टीवी चैनल्स पर प्रचार तक नहीं आ रहे है।


हॉकी का इतना बड़ा त्यौहार सर पर है और लोकल ट्रेनों में सफर करने वाले देश के राष्ट्रीय खेल हॉकी, के अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी प्रैक्टिस तक के लिये मैदान में नहीं उतर रहे है। अब करें भी तो क्या करें। क्योंकि सरकारी तंत्र की तरह चलने वाले हॉकी इंडिया ने खेल के लिये मिलने वाले पैसों से इतने मज़े कर लिये है कि खिलाडियों को उनका हक तक नहीं मिल रहा है। नौबत ये आ गयी है कि हॉकी खिलाडियों ने भत्ता न मिलने पर बबाल काट दिया है। हॉकी खिलाड़ियो ने मांग रखी है कि उनको  उनके हक के पैसे दिये जायें। लेकिन पैसे हों तब न। हॉकी इंडिया के सदस्यो ने सहारा की तरफ से मिली स्पांसरशिप के पैसों को मौज के लिये खर्च कर दिया और उन पैसों में से चवन्नी भी  खिलाडियों के खाते में नहीं गयी।

देश में जब जब हॉकी सुधरने की स्थिति में पहुंची है, तब तब ऐसे हालात पैदा हुए है कि खेल सिर्फ धरातल की ओर ही गया है। खिलड़ियों की मांग जायज है और हमेशा कि तरह हॉकी इंडिया गलत है। लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या हर बार की तरह मुद्दा यहीं पर गर्म होकर ठंडा हो जायेगा, या फिर इसका एक स्थाई हल निकलेगा। खिलाडियों को धमकियां दी जा रही है कि या तो वो मान जाये या फिर टीम से हट जाये। एक कहावत है कि उल्टा चोर कोतवाल को डांटे, उसी तर्ज पर हॉकी इंडिया के सदस्य, खिलाड़ियों पर दबाव बना रहे है कि या तो वो प्रैक्टिस पर लौट जाये या फिर उन्हें टीम से हटा दिया जायेगा। हॉकी इंडिया की तानाशाही की हालत ये है कि उन्होने पहले ही 22 खिलाड़ियो की सूची तैयार कर ली है, जो कि वैकल्पिक रुप से इस्तेमाल की जायेगी, भारतीय खिलाडियों के न खेलने की दशा में।

कितना शर्मनाक है हॉकी इंडिया के लिये कि खिलाडियों को खुद आगे आकर कहना पड़ रहा है कि स्पांसर से मिले पैसों में से कुछ पैसे खिलाडियों को भी मिलने चाहिये। लेकिन हॉकी इंडिया कहता है कि उनके पास पैसे ही नहीं है। फिलहाल हॉकी में चल रही उठापटक खत्म नहीं हुई है। और इसके लिये इंडियन हॉकी फेडरेशन भी पहल नहीं कर रही है। अब वो भी क्या करे क्योंकि उनके हाथ पहले से ही काले है। इस मसले में पड़ कर वो अपनी गर्दन छुड़ा रहे है।

देश की शान रहे इस खेल के खिलाडियों की  हालत देखकर कहीं न कही हॉकी के जादूगर ध्यानचंद की आखों में भी आंसू होगें। लेकिन दुख है कि वो कुछ कर नहीं सकते है। और अगर वो होते तो यही कहते कि आखिर क्यों हॉकी को इस देश का राष्ट्रीय खेल बनाया गया जब इसकी कद्र किसी को नहीं है।

ऑस्ट्रेलिया का दम्भ टूटा

बुधवार, दिसंबर 31, 2008

करिश्माई प्रदर्शन करते हुए पहली बार दक्षिण अफ्रीका ने ऑस्ट्रेलियाई धरती पर सीरीज़ अपने नाम की । मेलबार्न के दूसरे टेस्ट मैच के पांचवे दिन दक्षिण अफ्रीका ने ऑस्ट्रेलिया को नौ विकेट से रौंदकर तीन मैचों की सीरीज़ में 2-0 की बढ़त बना ली है।विश्व चैंपियन ऑस्ट्रेलिया 16 साल बाद अपनी सरजमीं पर पहली बार टेस्ट सीरीज़ हारा है , पिछली बार 1992-93 में वेस्टइंडीज़ ने पांच टेस्ट मैचौं की उस सीरीज़ में 2-1 से हराया था। अगर दक्षिण अफ्रीका सिडनी में होने वाले आखिरी टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया को हरा दे तो वह आधिकारिक रुप से दुनिया की नम्बर वन टीम बन जाएगी । मैच में दक्षिण अफ्रीका को जीत के लिए 153 रन की जरुरत थी जो उसने एक विकेट खोकर आसानी से हासिल कर लिया।विकेट के रुप में स्मिथ (75 रन) गिरा । इससे पहले अफ्रीकी कप्तान ग्रीम स्मिथ ने पर्थ के पहले टेस्ट में भी शतकीय पारी खेली थी। पर्थ में खेले गए पहले मैच में गज़ब की जीवटता का परिचय देते हुए दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ियों ने पारी से पिछड़ने के बावजूद वापसी करते हुए 414 रन के लक्ष्य को तीन विकेट खोकर पा लिया।पर्थ में शतक जमाने वाले स्मिथ शुरु से ही ऑस्ट्रेलियाई गेदबाज़ों पर दबाव बनाकर जीत के सूत्रधार बने।दक्षिण अफ्रीका ने 98 वर्ष बाद ऑस्ट्रेलिया को उसकी धरती पर हराकर टेस्ट सीरीज़ जीती । दक्षिण अफ्रीका ने पहली बार 1910-11 में ऑस्ट्रेलिया दौरा किया था।
ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पॉन्टिंग ने मंगलवार को मेलबार्न में दक्षिण अफ्रीका के हाथों टेस्ट सीरीज़ में मिली हार के बाद कहा कि वह जीत के असली हकदार थी । पॉन्टिंग ने कहा कि मेहमान टीम ने नाजु़क मौकों पर जबर्दस्त जीवटता का प्रदर्शन करके उनकी टीम को मुकाबले से बाहर कर दिया था। पॉन्टिंग ने कहा,"पहले दो टेस्ट मैचों के नाज़ुक मौकों पर दक्षिण अफ्रीका की टीम ने जबर्दस्त जीवट का प्रदर्शन करते हुए मुकाबले से बाहर कर दिया था। दूसरे टेस्ट की पहली पारी में हम मेहमान टीम को जल्दी निपटाने के करीब पहुंच गये थे, लेकिन उन्होंने शानदार वापसी की और आसानी से मैच जीत लिया ।इस बीच ऑस्ट्रेलियाई टीम की भी घोषणा हो गई, मैथ्यू हेडेन को खराब फार्म के बावजूद दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीसरे और अखिरी टेस्ट के लिए ऑस्ट्रेलिया की 12 सदस्यीय टीम में रखा गया है

बीसीसीआई की दादागीरी

रविवार, दिसंबर 21, 2008

बीसीसीआई ने श्रीलंका के साथ साल दो हज़ार बारह तक होने वाली सभी श्रृंखलाओं पर रोक लगा दी है। इसका कारण है श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड या एस एल सी  के आधिकारियों द्वारा आई पी एल के विरोध में बयानबाज़ी । भारतीय क्रिकेट बोर्ड के आधिकारी ख़ासकर अर्जुन रणतुंगा के बयान से नाराज़ है, यही नहीं एस एल सी को मिलने वाली आर्थिक मदद पर भी रोक लगा दी गई है।

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