मेरे बारे में

- शशांक शुक्ला
- नोएडा, उत्तर प्रदेश, India
- मन में कुछ बातें है जो रह रह कर हिलोरें मारती है ...
कुछ और लिखाड़...
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अबकी बार खुले में शौच पर वार8 वर्ष पहले
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NewsGram: News media from Chicago10 वर्ष पहले
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दुश्मन भगवान (अंतिम भाग)15 वर्ष पहले
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ऑस्ट्रेलिया पर कब जागेगा हिंदुस्तान..
शनिवार, जनवरी 09, 2010प्रस्तुतकर्ता शशांक शुक्ला पर 9:39 pm 3 टिप्पणियाँ
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फिर भड़की आरक्षण की दादागीरी...
बुधवार, जुलाई 29, 2009प्रस्तुतकर्ता शशांक शुक्ला पर 8:30 am 4 टिप्पणियाँ
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ये कैसा बदनाम प्यार ?
मंगलवार, जून 16, 2009
प्रस्तुतकर्ता शशांक शुक्ला पर 1:05 am 0 टिप्पणियाँ
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क्या है कट्टरवादी सोच
गुरुवार, अप्रैल 30, 2009कट्टरवाद ...क्या है ये कट्टरवाद....कौन है ये कट्टरवादी...इन सवालों ने मुझे बहुत परेशान कर रखा था...फिर मैने सोचा कि इन सवालों के जवाब के लिए मुझे अपने जीवन में झांकना होगा......क्योंकी जीवन के कई व्यवहारिक तजुर्बे कई सवालों के जवाब वो खुद ही दे देते है....आज से 10 साल पहले मैने अपने जीवन के कुछ पलों को याद किया...उसमें याद आया कि मै हिंदुवादी संगठन में जाया करता था...वहां पहले मुझे लगता था कि ये सब काफी मनोरंजक है.... मै वहां जाता था...वहां खेलकूद होता है मौज मस्ती होती है...ऐसे ही कुछ दिन बीत गये.....लगभग एक दो महीने बाद जब मै रेगुलर हो गया तो मुझसे मिलने एक दिन एक महाशय आये उन्होंने मुझसे बात की ...उन्होने मुझसे कहा कि मै संगठन में बतौर सक्रिय कार्यकर्ता शामिल हो जाऊं...पर मैने मना कर दिया मैने कहा कि मै संगठन में ही तो हूं तो अलग से क्या शामिल हो जाऊं...पर उन्होंने कहा कि नहीं... सिर्फ यहां आना ही हिंदुत्व नहीं है...मैने पहली बार हिंदुत्व नाम के शब्द को सुना था..मैने पूछा कि सर ये हिन्दुत्व क्या होता है...तो क्या थी उनकी परिभाषा मै आपको बताता हूं...
जो आपका धर्म है वो हिन्दु है और जो हिन्दू धर्म के लिए लड़ता है उसे हिन्दुत्व कहते हैं,
मैने पूछा, सर मुझे एक बात अभी भी समझ नहीं आया कि हिन्दु और हिन्दुत्व में क्या समानता है,
फिर उन्होने मुझे कहने लगे बेटा देश में खतरा बढ़ गया है मुसलमानों ने हम पर बहुत अत्याचार किये है इसी वजह से हमें अपने धर्म को बचाना है...
आखिर हमारे धर्म को किससे ख़तरा है,
मुसलमानो से ..क्यों कि वो नहीं चाहते कि हिन्दु जीयें...
लेकिन वो क्यों नहीं चाहते कि हम जियें....
क्यों कि मुसलमान कातिल होते है...और फिर उन्होने इतिहास का हवाला दिया....
मैने कहा पर सर अब तो राजा महाराजा शासनकाल खत्म हो गये हैं तो अब इन बातों का क्या औचित्य.
औचित्य है और वो ये कि वो आज भी हिन्दुओं के दुश्मन है..उनकी नज़र में हम काफिर हैं और इसलिए वो हमारे धर्म को खत्म करना चाहते हैं...
लेकिन मेरे तो बहुत से मुस्लिम दोस्त हैं उनसे ये बातें नहीं होती...वो तो मेरे अच्छे दोस्त हैं...
नहीं बेटा वो पहले दोस्ती करके आपसे मिलते हैं पर बाद में दग़ा देते हैं.....
इसी विषय पर करीब एक घंटे की चर्चा के बाद उन्होने मुझे पूरी तरह से संतुष्ट तो नहीं किया पर हां एक सोच में डाल गये की क्या सही होना चाहिए और क्या गलत....
एक सप्ताह बीत गये मै अपने मित्र के यहां गया जो एक मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखते हैं....मै पहुंचा पहले मेरी बात ठीक ठाक हुई पर थोड़ी देर बाद मुझे लगा जैसे वो मुझे नीचा दिखाने की कोशिश कर रहा है
मुझे इस बात पर यकीन होने लगा कि जो बातें मुझे बताई गई थी वो सही थीं...
कुछ समय और बीत गया...और फिर मेरे सामने जो सच्चाई सामने आई वो ये थी कि जिस तरह मुझे समझाने मेरे 'सर' आये थे उसी तरह मेरे मित्र को भी समझाने आये थे उनके मौलाना साहब...उसी तरह मुसलमान होने का मतलब और वही सब बता गये जिन बातों मेरे सर ने मुझे बताई थी.....
इन घटना से मुझे तो साफ हो गया कि किसी भी धर्म में कट्टरता नाम की कोई चीज़ नहीं होती...होती है तो बस वो अनावश्यक डर जो एक पीढी से दूसरी पीढी तक फैलाया जाता है...
और कोई भी उसकी पीछे की सच्चाई को जानने की कोशिश नहीं करता.....और यूं ही चलता रहता है....
प्रस्तुतकर्ता शशांक शुक्ला पर 12:24 am 4 टिप्पणियाँ
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आखिर पाकिस्तान में हंगामा क्यों है बरपा
सोमवार, अप्रैल 27, 2009मैने एक दिन अख़बार खोला उसमे पहले ही पेज पर एक ख़बर थी कि तालिबान ने पाकिस्तान के कुछ इलाकों पर कब्ज़ा कर लिया...मुझे इस बात का बहुत दुख हुआ कि पाकिस्तान किस तरह अपने ही भष्मासुर से ख़तरे में पड़ गया है.....पर एक बात मेरे दिमाग मे खटकती है कि आखिर पाकिस्तान तालिबान से समझौता कैसे कर सकता है....यहां एक बात तो गौर करने लायक है कि जब पाकिस्तान को पहले से पता था कि तालिबान उसके शहरों पर कब्ज़ा करते हुऐ आगे बढ़ रहा है तो वो क्यों उन पर ध्यान न देकर भारत की तरफ आखें तरेर रहा है..इस घटना से एक बात तो साफ है कि या तो पाकिस्तान दुनिया की नज़रों से तालिबान का ध्यान हटवाने की कोशिश कर रहा है.....पर सवाल उठता है क्यो....जहां तक मुझे समझ में आ रहा है कि वो ये है कि पाकिस्तान पहले से ही ये चाहता रहा है भारत से अपनी दुश्मनी निकालनी है तो अगर उसने तालिबान का साथ दिया तो तालिबान भारत के खिलाफ़ उसकी मदद करेगा...और इस बात को साफ करते हैं पाकिस्तान के वो कदम जिनके होने से ये शक़ पुख्ता भी होता है...पाकिस्तान जब तालिबान के खिलाफ बाहरी मुल्कों से पैसे की मांग कर रहा है..तो दूसरी तरफ़ तालिबान के कब्ज़े वाले इलाकों में सैन्य कार्रवाई करने के बजाय वो तालिबान के शरीयत कानून को लागू करने की छूट दे दी...जिससे हुआ ये कि वहां के लोगों की मुसीबतें बढ़ गई और तालिबान को ये भी समझ आ गया या कहें कि समझाया गया कि पाकिस्तान तालिबान के साथ है न कि उसके खिलाफ....इसीलिए इसके चलते तालिबान पहले से ही भारत पर हमले की बातें कर रहा हैं....आखिर अभी तक तालिबान क्यों सिर्फ अमेरिका को ही अपना दुश्मन समझता था और अब है कि वो भारत के खिलाफ भी आतंकी कार्रवाई की घुड़की दे रहा है....इसके पीछ सारी चालें चल रहा है पाकिस्तान क्यों एक तरफ तो वो तालिबान से लड़ने औऱ आतंक के खिलाफ अपनी झूठी कार्रवाई की दुहाई देकर दूसरे देशों से मदद मांग रहा है...मदद मांगने के पीछे वजह ये भी है कि दूसरे देशों के सामने अपने यहां हो रही आतंकवादी घटनाओं के पीछे भारत की बात करके अपने लोगों को अंधेरे में रख सके, और बाहरी देशों का ध्यान तालिबान से दूर रख सके, वहीं बाहरी देशों को ये भी लगेगा कि पाकिस्तान सच में आतंकवादियों से पीड़ित है....जबकि ये सिर्फ और सिर्फ ढोंग है और कुछ भी नहीं......
प्रस्तुतकर्ता शशांक शुक्ला पर 7:42 pm 0 टिप्पणियाँ
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