सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का सुपरमैन कहें तो इसमें कोई दूजी राय नहीं हो सकती है। हां ये अलग बात है कि वो पैंट के उपर चढ्ढी नहीं पहनते है। लेकिन जिस तरह सचिन विरोधी टीम पर हावी होते है उससे इतना होता ही है कि कोई भी गेंदबाज उन्हें गेंद फेंकने से पहले अपनी पैंट को कस कर ज़रुर बांध लेता होगा।
साउथ अफ्रीका के साथ इस माइक्रोमैक्स मोबाइल कप के दूसरे वनडे में सचिन द्वारा बनाये गये नाट आउट दो सौ रनों की पारी मेरे ज़ेहन में तब तक रहेगी जब तक मेरी सांसे चलेंगी। दुनिया का हर क्रिकेट प्रेमी या खिलाड़ी जानता है कि सचिन की नकल अगर कोई कर सकता है तो वो सिर्फ सचिन तेंदुलकर ही है।
सचिन की ये पारी उनके साथ साथ भारत के हर क्रिकेट प्रेमी के लिये अहम है। क्योंकि जब हमारी जेनरेशन अपने बुढापे को देख रही होगी तो कम से कम हम अपने बच्चों को ये कह सकते है कि हमने सचिन की वो पारी देखी थी जिसमें सचिन ने वन डे मैच में दोहरा शतक जमाया था।
सचिन जैसे खिलाड़ियों को देखना अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धी है। क्योंकि जिस खिलाड़ी का करियर बीस साल लंबा हो और जिस पर कभी खेल भावना का अपमान या किसी भी प्रकार का कोई आरोप न लगा हो, उसको खेलते देखना अपने आप में सुखद अनुभूति है। सचिन ने अपनी पारी में यही कोई पच्चीस चौके लगाये होंगे साथ ही तीन छक्के भी। लेकिन ऐसा नहीं है कि उन्होने कभी इतने चौके या छक्के नहीं लगाये। पहली ही गेंद से लगने लगा था कि सचिन तेंदुलकर हो न हो कम से कम सैंचुरी मारकर ही जायेंगे। ये बात सिर्फ इसलिये नहीं कह रहा हूं क्योंकि मै सचिन का फैन हूं पर इसलिये भी क्योंकि पहली बार मुझे लगा कि आज सचिन शतक मारकर जायेगा। अक्सर मै पहले ही डर जाता था कि सचिन कहीं आउट न हो जाये, पर ऐसा बिलकुल नहीं लगा यहां तक की सचिन के दोहरे शतक के करीब पहुंचने के बाद भी। इसको एक इत्तेफाक भी कह सकते है।
सचिन के दोहरे शतक में जितना बड़ा हाथ सचिन तेंदुलकर का है उससे भी ज्यादा बड़ा हाथ उनके साथ साझेदारी निभाने वाले दिनेश कार्तिक, युसुफ पठान, और महेंद्र सिंह धौनी का है। सचिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भी दोहरे शतक को तोड़ते नजर आ रहे थे लेकिन दूसरे छोर से विकटों की पतझड़ ने एक दबाव पैदा कर दिया था इसी के साथ सचिन तेज़ खेलने के चक्कर में अंट शंट शाट खेलकर विकेट गंवा बैठे। लेकिन इस मैच में ऐसा बिलकुल नहीं हुआ। आज उनकी किस्मत में दोहरा शतक जमाना लिखा हुआ था। सचिन ने ये दोहरा शतक नाबाद बनाया है यहीं नहीं उनको कोई जीवनदान तक नहीं मिला। पचास ओवर खेलने के बाद भी सचिन तेंदुलकर दो रनों के लिय भाग रहे थे। ये उनकी फिटनेस का नजारा था।
सचिन बिना दबाव के रन बनाते चले गये, जैसे ही सचिन सैचुरी के करीब आये उन्होने सिंगल,डबल पर भरोसा जताया, जब दोहरे शतक के करीब आये तब भी उन्होनें सिंगल डबल से ही अपना दोहरा शतक पूरा किया, इस तरह की बल्लेबाजी उनके एक्सपीरियंस को दिखलाती है। सचिन के बीस साल के करियर में एक समय ये भी आया था जब उनसे पारी की शुरुआत न करने की सलाह ने सचिन के साथ साथ सभी को हैरत में डाल दिया था,लेकिन सचिन की इस उम्र में खेली जा रही पारियों को देखकर कहीं से नहीं लग रहा है कि उनकी उम्र क्रिकेट से सन्यास लेने की हो रही है। सचिन की उम्र वाले ज्यादातर खिलाड़ी संयास लेकर क्रिकेट को देखना ही पसंद करते है लेकिन ये सचिन ही है जिनकी रनों की भूख आज भी वैसी ही है जैसी क्रिकेट के शुरुआती करियर में थी।
आने वाली पीढ़ी के लिये नई चुनौती पेश करने वाले सचिन रमेश तेंदुलकर के रिकॉर्ड तब तक नहीं टूटेगा जब तक घुंघराले बालों वाला तेंदल्या अगले जन्म में क्रिकेट के मैदान में नहीं उतरेगा।