अभी कुछ देर पहले टीवी पर दिल्ली कि मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की ज्ञानवाणी सुनी। उनका कहना था कि दिल्ली में आने वाले वाहनों को अब से अलग से टैक्स देना होगा। कमाल है क्या दिल्ली देश से अलग है। एक तो पहले ही टोल के नाम पर अलग अलग टैक्स दे दे कर दिल्ली में आने वाले पहले ही परेशान थे लेकिन इस नये टैक्स से तो प्राइवेट वाहनों वालों को दिल्ली के लिये अलग से हफ्ता देना होगा। हफ्ते से मेरा मतलब टैक्स से है क्योंकि हम इतने टैक्स देते है कि आने वाले भविष्य में अगर ज़ोर से सांस लेने पर भी टैक्स देना पड़े तो चैकियेगा मत। और हां ये मै नहीं कहता हूं कुछ लोग है जो टैक्स को हफ्ता कहते है। अरे भाई हफ्ता वही होता है जो भाई लोगों को देना होता है मन मारकर, उसी तरह टैक्स भी है। अच्छी बात ये है कि सरकार को जो टैक्स देते है उसका इस्तेमाल हमारे लिये ही होता है । अपने देश की राजधानी में ही घुसने पर अलग से टैक्स कमाल है। आप लोगों को जानकारी होगी ही कि हम हर चीज़ पर टैक्स देते हैं। चाहे वो कोई खानेपीने का सामान ही क्यों न हो। उसकी कीमत चुकाने के बाद भी टैक्स अलग से देते है। ये अलग बात है कि इंकम पर भी टैक्स देते है। ये सारा पैसा हमारे लिये ही इस्तेमाल होता है लेकिन दिल्ली जाने के लिये अलग से टैक्स की बात पचती नहीं दिख रही।
मेरे बारे में
- शशांक शुक्ला
- नोएडा, उत्तर प्रदेश, India
- मन में कुछ बातें है जो रह रह कर हिलोरें मारती है ...
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दिल्ली भारत से अलग है।
गुरुवार, नवंबर 12, 2009प्रस्तुतकर्ता शशांक शुक्ला पर 3:48 pm 4 टिप्पणियाँ
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