सुबह सुबह सोकर उठा फिर सोचा कि चलो रात अच्छी कटी और एक पूरे चौबीस घंटे शांति के साथ कटे। सुबह उठकर मैने सोचा कि क्यों न अपने ब्लाग को खोलें देखें कि क्या हो रहा है ब्लाग जगत में। अपने ब्लाग पर एक लेख पर एक टिप्पणी पढ़कर दिमाग एकदम से चकरायमान हो गया। मै पहले आपके एक बात बता दूं कि आजकल ब्लाग पर ऐसे लोगों को कमेंट आते है जो ब्लाग पढ़कर अपने टिप्पणी नहीं करते है। किसी और पोस्ट को पढ़कर किसी और मामले पर टिप्पणी चिपका देतें है। हां तो मै आपको बता रहा थी मेरे एक ब्लाग पर एक पोस्ट पर टिप्पणी देखकर मै सन्न रह गया । किसी ने लिखा था कि....
भाई शशाक जी मौहल्ला पर आपका एक पुराना लेख पढऩे को मिला। इसमें आपने धर्म बदलने संबंधी मुद्दे पर कई बातें लिखी। मेरे ब्लॉग पर लगभग सौ लोगों के बारे में है जो धर्म बदलकर मुस्लिम हो गए। क्या आप उनको पढऩा नहीं चाहेंगे कि आखिर यह मुस्लिम क्यों हो गए? आपको अपने कई सवालों के जवाब मिलेंगे।
तो ये थी टिप्पणी...धर्म पर चर्चा हो तो मोहल्ला सबसे फेवरेट जगह बनती जा रही है। चाहे धर्म का प्रचार हो या बबाली लेख। लेकिन एक बात जो मेरे समझ में नहीं आई कि क्यों ये भाई साहब मुझे समझा रहे है कि धर्म बदल लो। वो ये भी कह रहे हैं सौ से ज्यादा लोग घर्म बदलकर मुस्लिम बन गये..... वो अब ये चाहते है कि मै भी साइट पर जाकर मुस्लिम बनने के फायदे खोजूं और मुसलमान बन जाउं।कमाल है इन्हे लगता है कि मै ऐसा करुंगा???? मै आपने ब्लागर भाईयों से पूछना चाहुंगा कि मोहल्ला में ये क्या हो रहा है। आखिर ये जनाब किन सवालों के जवाब देना चाह रहे है। क्या कहना चाह रहे थे ये मेरे मित्र....कहीं इन्हे ये तो नहीं लग रहा कि मुझे अपनी बातों के जाल में फंसा कर मेरा धर्म परिवर्तन करवा लेंगे। तो ऐसे लोगों कों मेरी सलाह कि जैसा कि मेरा पेशा है उसी को देखकर समझ लेना चाहिये एक पत्रकार को समझाना दुनिया का सबसे बड़ा काम होता है। क्योकि उसके पास ढेरों तर्क होते है। जिससे समाने वाला फंस जाता है। क्योंकि यही तो उसका काम है। रही सौ लोगों वाली बात तो मै दो सौ से ज्यादा लोगों को जानता हूं जो मेरी तरह की सोच रखते हैं। हमारी कौम ही ऐसी है पत्रकार बिरादरी ऐसी ही होती है यार....एक बात और मेरे दिमाग में खटकी है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि अपने ब्लाग या डॉट काम का प्रचार करने के लिये ऐसा किया गया हो। अभी तक मैने उस साइट या ब्लाग को पढ़ा तो नहीं है लेकिन ये एक शुरुआत है जहां से मै उस साइट पर जाकर इस बेकार की बात और उन तथाकथित सौ लोगों से मिलकर देखुं कि वो बेचारे मुस्लिम बनकर क्यों जी रहे हैं। आखिर ऐसा क्या हो गया उनके जीवन में कि उन्हे लगा कि धर्म परिवर्तन ही उनकी परेशानियों का हल है। या धर्म परिवर्तन करवाकर उनकी परेशानियां ( हो सकता है कि धन संबंधी परेशानिया, जैसा कि अक्सर होता है) सच में हल तो नहीं हो गयी। भाई साहब ने तो मुझे ऑफऱ किया है कि उनके ब्लाग पर जाकर देखुं कि कौन है वो सौ लोग.....मै इस मुद्दे पर आगे लिखता रहुंगा हर बार जिन लोगों की कहानी मै पढ़ता रहुंगा। पर मेरी एक दिली ख्वाहिश है कि मौहल्ला पर कृपया एक बोर्ड ज़रुर लगायें कि यहां धर्म का प्रचार करना मना है.....
मेरे बारे में
- शशांक शुक्ला
- नोएडा, उत्तर प्रदेश, India
- मन में कुछ बातें है जो रह रह कर हिलोरें मारती है ...
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धर्म संबंधी सवालों के जवाब मिलेंगे ??????
सोमवार, अगस्त 10, 2009प्रस्तुतकर्ता शशांक शुक्ला पर 10:58 am 10 टिप्पणियाँ
लेबल: धर्म
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