कोई जीते ना जीते.. पाकिस्तान नहीं जीतना चाहिए !

रविवार, जून 21, 2009


मै अपने नाई की दुकान पर बैठा था कि पता चला कि ट्वेंटी-20 वर्ल्ड कप का फाइनल श्रीलंका और पाकिस्तान की टीमों के बीच में हो रहा, तभी मेरी दाढ़ी बना रहा नाई बोला देखना भाई साहब ये मैच पाकिस्तान ही जीतेगा... मैने कहा क्यों? कहता है वो लोग अच्छा खेल रहे हैं... तो मैने कहा तो श्रीलंका भी तो फाइनल में पहुंची है तो हो सकता है कि श्री लंका ही जीत जाए.... चेहरे को सख्त करते हुए उसने कहा नहीं भाई साहब पाकिस्तान ही जीतना चाहिए। उसके अंदर के गुस्से और चाहत के आक्रोश को देखकर लगा कि मुझे अब चुप हो जाना चाहिए। उस वक्त मेरी गर्दन उसका उस्तरा उसके हिसाब से चल रहा था कुछ भी हो सकता था हाहाहहा....लेकिन अपनी बारी की इंतजार कर रहे एक महाशय से न रहा गया वो बोल पड़े कि नहीं भाई कोई जीते न जीते पाकिस्तान नहीं जीतना चाहिए। बस इतना कहना था कि एक नई बहस की शुरुआत हुई और मुझे मुद्दा मिल गया कुछ लिखने का....मैं बड़े ही ध्यान से उन दोनों के पाकिस्तान के विरोध और पक्ष की बातें सुन रहा था। उन महाशय जिनका नाम सुरेंद्र था उन्होंने कहा कि भाई साहब पाकिस्तान नहीं जीतना चाहिए ...मेरे नाई ने कहा नहीं भाई आपने गलत कहा पाकिस्तान जीते तो ही अच्छा है। इतने में सुरेद्र जी बोले कि क्यों भाई तुम पाकिस्तानी हो क्या जो पाकिस्तान की जीत चाहते हो। इस पर नाई बोला नहीं मै हिंदुस्तानी हूं खालिस ....लेकिन फाइनल में पाकिस्तान जीते तो ही बेहतर है। सुरेंद्र ने नई बहस छेड़ी उससे उसका नाम पूछा तो उसने अपनी नाम तारिक़ बताया । सुरेंद्र बोला  अच्छा तो इसलिए तुम चाहते हो कि पाकिस्तान जीते। तारिक समझ नहीं पाया उसने पूछा कि क्यों कैसे आपको लगा कि मै पाकिस्तान की टीम का जीत चाहूंगा। सुरेंद्र बोला तुम मुसलमान हो इसलिए पाकिस्तानी टीम का सपोर्ट कर रहे होगे। इस पर उसने अपनी पिछली बात दोहराई कि भाई साहब मैंने आपसे पहले भी कहा है कि मै एक खालिस भारतीय हूं। लेकिन मै फिर भी चाहता हूं कि पाकिस्तान जीते। सुरेंद्र बोला ...यार एक बात बताओ कि पाकिस्तान और भारत के बीच मैच जब होता है तब तुम किस टीम की जीत चाहते हो तारिक़ को खुद पर किया गया ये तीखा सवाल लगा और उसने जवाब दिया कि देखिए भारत औऱ पाकिस्तान के मैच पर पहली जीत मैं भारत की ही चाहता हूं लेकिन किसी और से जब पाकिस्तान का मैच होता है तो मैं चाहता हूं कि पाकिस्तान ही जीते। सुरेंद्र को बात समझ नहीं आई तो उसने पूछा कि तुम कह रहे हो कि भारत पाकिस्तान के मैच पर भारत की जीत चाहते हो लेकिन पाकिस्तान के किसी और मैच पर पाकिस्तान की जीत.. इस बात को समझाओ तो ज़रा। तारिक़ चुप हुआ और बोला कि भाई साहब पाकिस्तान तो आज़ादी के बाद बना है। आखिर वो भी तो छोटा भारत है लेकिन बस दो परिवारों में पड़ी दरार की वजह से गुस्से में अलग रहने चला गया है. अब वापस कब आयेगा इसका पता नहीं। लेकिन इस बात में सच्चाई हैं कि भारत मेरा देश मैं जिस परिवार (देश) का हिस्सा हूं पहला हक़ उसका है। जिस तरह अलग हुआ परिवार यूं तो अलग होता हैं लेकिन अगर किसी भी हिस्से पर कोई मुसीबत आती है तो सब एक होकर खड़े हो जाते हैं । उसी तरह मैं भारत और पाकिस्तान को एक परिवार की तरह मानता हूं जो अलग तो हो गये हैं लेकिन हैं तो एक ही परिवार के। ये जवाब सुनकर वहां खड़े सभी लोग सन्न रह गये इस जवाब की मुझे भी कम ही उम्मीद थी। इतने में सुरेंद्र में उसके कंधे पर हाथ रखा और बोला चल यार मेरे बाल भी काट दे कल कितने बजे से है मैच... मैं भी देखने आऊंगा चाहता हूं अपने परिवार ही जीते।

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