टीवी पर बहुत दिनों से एक विज्ञापन चल रहा है जिसमें एक लड़का लोगों चाय पिलाने के बहाने वोट देने के लिए समझाता है या कहें कि उकसाता है...पर उसमें एक लड़की ने एक सवाल पूछा था कि वोट दो वोट दो किसे वोट करें तो वो लड़का कहता है जागो रे डाट काम पर जाए और लागिन करें...सवाल ये है कि किसे वोट करें इसलिए नहीं कौन नेता है हमारे क्षेत्र में ...बल्कि इसलिए कि क्यो वोट करें॥आज हम वोट करें किसी नेता को चुनाव के बाद पता चले कि वो तो पार्टी बदल कर गठबंधन कर ले ....इसका उदाहरण है लालू प्रसाद यादव...जो यूपीए सरकार में रेलमंत्री रहने पर सोनिय गांधी और मनमोहन सिंह के चालिसा कहा करते थे...और आज जब चुनाव हो रहे हैं तब लालू विष उगल रहे हैं कांग्रेस के ख़िलाफ़॥गिरगिट भी इतनी तेज़ी से रंग नहीं बदलता जितनी तेज़ी से हमारे नेता रंग बदलते हैं.....एक क्षेत्र से पांच प्रत्याशी खड़े हों और फिर पता चले कि सभी पर आपराधिक मामले दर्ज हों आप किसे वोट कर सकते हैं॥एक समझदार आदमी तो शायद किसी को वोट न करे॥लेकिन अगर कभी मुझे वो महाशय मिल जाए जो उस विज्ञापन मे वोट करने की अपील कर रहे थे तो मै उनसे पूछूं कि किसे वोट करूं तो वो तो कह देंगे कि जागो रे जागो रे जागो रे जागों रे रे रे रे रे रे ...लेकिन कैसे जागें अपराधियों को वोट देकर तो मै नहीं जागुंगा...समस्या ये हैं कि मेरे क्षेत्र में अपराधी हो तो मुझे हक होना चाहिए कि मै अपने नेता को वोट दूं न कि किसी ऐसे को जो गुंडा हो....पता नहीं ये हक हमें कब मिलेगा...जब मिलेगा तब वोट करुंगा......तभी जागुंगा अभी सोने दो....
जब बात दिल से लगा ली तब ही बन पाए गुरु
3 दिन पहले