मै समझ रहा था कि मंदी का असर उन लोगों पर पड़ा है जो बेचारे किसी फर्म में नौकरी किया करते है। क्योंकि जिनके पास पैसे है वो तो आज भी मंहगे से मंहगे कपड़े खरीद रहे है लेकिन वो लोग जो किसी की नौकरी किया करते है उन्हे ही सबसे ज्यादा फर्क पड़ा है। क्योंकि किसी की नौकरी गयी है तो किसी की सैलरी कम हो गयी है। मैने अपने किसी दोस्त से सुना की एक आदमी ने एक शो रूम से एक लाख रुपये के जूते खरीदे है और वो भी सिर्फ चार जो़ड़ी जूते। कमाल है बहुत पैसे है ऐसे लोगों के पास। लेकिन मैने ऐसे लोगों को भी देखा है जिनके पास पैसों की कमी हो गयी है।
मै एक दुकान पर कचौड़िया खाने जाता हूं। मेरा उस दुकान के साथ रिश्ता सा बन गया है क्योंकि उसकी कचौडियों के स्वाद के लिये मेरी जीभ लपलपाने लगती है। मै रोज़ाना ही उसकी दुकान पर जीभ की तृप्ति के लिये जाता हूं। मै अक्सर वहा पर तरह तरह के लोगों से मिलता हूं। ऐसे ही एक आदमी को मै अक्सर वहा देखता था जो मारुति के स्विफ्ट माडल के साथ वहा आता था। मेरी ही तरह उसकी जीभ भी उसे यहां खींच लाती थी। उसकी एक आदत थी कि दुकान के पास मौजूद भिखारियों को दस दस रुपये के नोट दे दिया करता था। और वो ऐसा रोज करता था। उसकी इस आदत की वजह से दुकान वाले ने भी उसको ऐसा न करने की सलाह दे चुका था क्योंकि उसे लगता था कि ऐसा करने से भिखारियों को बढ़ावा मिलता है। लेकिन पैसे की गर्मी ने महाशय को पैसे लुटाने को मजबूर सा कर दिया था। समय़ बीतता गया एक दिन वो अपनी लाल रंग की स्विफ्ट के बगैर आया और सिर्फ सिंगल कचौड़ी का आर्डर दिया और उसे ही खाने लगा। हर बार की तरह उसे देखकर बाल भिखारियों की भीड़ सी लग गयी। उसने उनकी तरफ देखा और फिर खाने में मस्त हो गया। भिखारियों को थोड़ा अजीब लगा तो उन्होने उस पर ज़ोर डालना शुरु कर दिया। थोड़ी देर के बाद कचौड़ी खत्म हुई और उसने दस रुपये का नोट निकाला और एक भिखारी को देते हुए बोला सब लोग बांट लेना। ये कहकर चला गया
दुकान वाला और मै एक दूसरे को देखकर मुस्कुराये क्योंकि थोड़ी देर पहले ही उसकी और मेरी मंदी के विषय पर ही बात हो रही थी और मै उससे पूछ रहा था कि उसकी खरीददारी पर कितना फर्क पड़ा है। ये देखने के बाद कि स्विफ्ट वाले आदमी ने सिर्फ एक दस का नोट ही दिया है भिखारियों में बहस सी छिड़ गयी कि अब दस रुपये को पांच में कैसे बांटा जाये। तभी उनमें से ही एक ने बोला यार अब तो परेशानी बढ़ गयी है इस मंदी ने तो लोगों की अमीरी कम कर दी है।
मेरे बारे में
- शशांक शुक्ला
- नोएडा, उत्तर प्रदेश, India
- मन में कुछ बातें है जो रह रह कर हिलोरें मारती है ...
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मंदी ने अमीरी कम कर दी है....
शुक्रवार, दिसंबर 18, 2009प्रस्तुतकर्ता शशांक शुक्ला पर 3:18 pm 3 टिप्पणियाँ
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