हैलो दोस्तों, कैसे हैं आप लोग। कैसी कट रही है ज़िंदगी। पहचान कौन....अरे नहीं पहचान पा रहे है। ये मै हूं। हो सकता है की तस्वीर देखकर कुछ याद आ जाये।
पहचाना, अरे मै वो बड़ा वाला नहीं हूं , वो तो मेरी मम्मा है। मै हूं छोटू टाइगर। हम दोनों आज घूमने निकले है पप्पा काम काज के चक्कर में अक्सर बाहर रहते है। आज बहुत दिनों बाद हम घूमने निकले है। क्या करें आजकल डर का माहौल इतना बन गया है कि घर से निकलना दूभर हो गया है। आपको तो पता ही होगी कि आतंकवाद इतना बढ़ गया है । मेरी मम्मा पप्पा मुझे घर से बाहर कम ही जाने देते है। वो कहते हैं कि बाहर बुरे लोग हैं। पता नहीं कौन बुरा है। मैने तो आजतक नहीं देखा ऐसा कोई। मुझे तो लगता था कि हमसे सब डरते हैं। जंगल में सारे मुझसे डरते है क्योंकि मेरे पापा बहुत ताकतवर है। ये देखों एक फोटो मैने पापा की खींची है शिकार करते हुए दांयी ओर।
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देखा कितने ताकतवर है मेरे पापा इसी वजह से तो जंगल के सभी जानवर मुझसे डरते है। लेकिन पता नहीं पिछले कुछ सालों से दूसरों को डराने वाले हम खुद डर के माहौल में जी रहे है। और इसका कारण है कि आप लोग। देखो बुरा मत मानना लेकिन इसका कारण सिर्फ और सिर्फ आप लोग है। कौन कहता है कि आतंकवाद से सिर्फ मानवों का नुकसान हुआ है। हमारा भी नुकसान हुआ है। देखो आप लोगों ने ही हमारे साथ इतना बुरा किया है कि आज हमारी संख्या कम होती जा रही है। और सही बात दिल से कहूं तो जो आंकड़ें सरकार बता रही है उससे कही ज्यादा कम हमारी संख्या है।हमारे देश पर हमला हुआ ओर हमने कई नंबर बांट दिये। मुंबई पर हमला हुआ तो सबने 26/11 का नाम दे दिया। संसद पर हमला हुआ था तो हमने उसको 13/12 का नाम दे दिया। यहां तक की जब अमेरिका पर हमला हुआ तो सबने उसे 9/11 का नाम दिया। लेकिन कोई हमारी तरफ क्यों नहीं देखता। ये सरकार अच्छी है कि उसने शायद हमारी संख्या को बढ़ाकर 1411 कर दिया ताकी लोगों के ज़ेहन में ये बात बनी रहे जिस तरह बाकी नंबरों की यादें टिकी हुई है। अब आप ही सोचिये कि आंतकवादियों के हमले के बाद सबने उसमें मरने वाले लोगों को श्रंद्धांजली दी थी। यहां हमारे लोग मारे जा रहे हैं उस पर किसी का ध्यान नहीं गया। हमारे जैसे बाघों की पूछ करने वाले लोग कहां है यहां जो हमारा ख्याल रखा जाये।
अब क्या कहूं किससे शिकायत करुं। ये सरकार भी तो अपनी नहीं है कि हमारे लोगों के लिये कुछ करें। आपसे क्या कहुं आपको क्या पता अपने परिवार को खोने का दर्द क्या होता है। आप तो अपने शौक के लिये हमारा कत्ल किये जा रहे है। लेकिन आपको क्या पता कि जब मेरे दादा जी का शिकार किया गया था तो मै कितना रोया था। मेरे सर पर से मेरे दादा जी का साया उठ गया। आपके एक शौक ने मुझे लोरियां और कहानी सुनकर सोने से वंचित कर दिया। कभी कभी उस मंजर को सोचता हूं तो दिल दुखी होता है लेकिन क्या करुं कुछ कर भी तो नहीं सकता हूं क्योंकि उसके पीछे कारण क्या है आप भी अच्छी तरह जानते है और मै भी, आपको उस दिन की तस्वीरे दिखाता हूं, जिस दिन मैने उनकी लाश देखी थी उस दिन मै बहुत रोया था। आप भी देखिये उनकी तस्वीर।
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अब तो इस वजह से हमारे परिवार की फैमिली प्लानिंग भी बदल गयी है। पहले मम्मी पप्पा मेरे भाई बहन की बातें करते थे लेकिन अब तो मै अकेला ही बचा हुआ हूं क्योंकि आप लोगों ने प्रदूषण को इतना बढा़ दिया है कि मेरे दो भाई बहन स्वर्ग सिधार गये। मै अकेला पड़ गया हूं। क्या करुं अब तो मां घर से बाहर नहीं निकलने देती है। मुझे याद है कि किस तरह मै और मेरे भाई चूहों का शिकार करते थे। खरगोश पकडा करते थे। उसमें मज़ा तो था ही खाना भी अच्छा था। अब तो कभी कभी भूखे भी दिन गुजारना पड़ता है।जंगल में इतनी भयानक आवाज गूंजती है कि मेरे दिल की धड़कन तेज हो जाती है। मां कहती है कि वो मानवों की आवाज है। पहले सोचता था कि जंगल में हमारी आवाज ही सबसे खतरनाक मानी जाती है लेकिन पहली बार मम्मा ने बताया कि वो मानवों की आवाज है। मै तो डर के मारे उनसे दुबक जाता हूं। लेकिन मैने एक बार झांडियों से छुपकर देखा था कि वो आवाज एक लंबी सी नली से आती है न की उनके मुंह से। लेकिन जैसी भी आवाज आती है भयानक तो आती ही है, उसके बाद हमारे लोगों का कत्ल भी होता है। रोता हूं जब उनको तड़प तड़प कर मरते देखता हूं।
आपको कुछ और भी बताना चाहता हूं। मेरी मम्मा ने एक बार चुपके से रात में मेरे भाई को दुनिया में लाने की बात की थी। लेकिन मेरे जिम्मेदार पप्पा ने उनको मना कर दिया। उनका कहना था कि उनकी जाति का अंत निकट है। एक तरफ लोग दुनिया के खत्म होने की बात साल 2012 में सभी कर रहे हैं लेकिन यहां तो पप्पा ने पहले ही अपने बच्चों को दुनिया में लाने से मना कर दिया। अच्छा है इसे कहते है जिम्मेदार पापा। आखिर कौन पिता चाहेगा कि उसके बच्चे दुनिया में आकर मानवों के शौक के लिये मारे जायें। अरे हम तो दूसरे जानवरों को मारते है लेकिन क्या करें वो हम अपनी भूख मिटाने के लिये करते है, लेकिन मनुष्यों ने तो हमें अपने शौक के लिये मारना शुरु कर दिया है, ये देखिये
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इसमें अब आप लोग ही कुछ कर सकते है। आप लोग हमें बचाने के लिये मदद का हाथ बढ़ायें। हैती के भूकंप में तो आपने बहुत दान दिये है। कम से कम हमें बचाने के लिये भी कुछ कीजिये। आप मेरी घटती संख्या के बारे में बात कर सकते हैं। बाघ की खाल से बनी चीज़ों का बहिष्कार कर सकते हैं। क्योंकि आपके इस कदम से हमारे शिकार में कमी होगी। सरकार से भी कुछ अपील करना चाहता हूं कि प्लीज मेरे शिकार पर लगाम लगाई जाये। जब आप जैसे नेताओं को जेड श्रेणी की सुरक्षा मिल सकती है और पचास से ज्यादा सुरक्षाकर्मी आपकी सुरक्षा में लगे रहते है तो कम से कम आप मेरी सुरक्षा के लिये जंगल में सुरक्षाकर्मियों की संख्या बढ़ा ही सकते है।
आपसे अपील करता हूं कि आप मेरी रक्षा करें। क्योंकि मेरी मम्मा कहती है कि मनुष्य ही हमारे लिये बड़ा खतरा है ये पर्यावरण नहीं। पप्पा के पिता जी की मौत के बाद तो उन्होने ये मानना शुरु कर दिया है कि हमारे लिये तो आप ही आतंकवादी है। इसलिये आपसे तहेदिल से अपील कर रहा हूं कि मुझे मत मर मारो मै जीना चाहता हूं।