टीम इंडिया इस बार तुम टी 20 वर्ल्ड कप लेकर ही आना....फिर लाना है वर्ल्ड कप...फिर जीतेगा टीम इंडिया... वर्ल्डकप से ठीक पहले सारे अखबार सारे टीवी चैनल परेशान थे। टीम तो वर्ल्डकप से बाहर हो गयी लेकिन खबरें अब भी बरकरार हैं....हां ये बात अलग है कि इस बार टीम इंडिया की बखिया उधेड़ी जा रही है....हार के बाद चाहे वो किसी बार में जाये या फिर बीच पर..हर हरकत पर कड़ी नजर है। और सभी को एक ही चश्में देखा जा रहा है। हार के चश्मे से।
भारत की हार से दिक्कत आम भारतीय को है या नहीं पता नहीं...क्योंकि मै तो आज भी ऑफिस आता हूं। अपना काम करता हूं। शायद बाकी लोग भी यही करते है..लेकिन मज़े की बात ये है कि टीवी चैनल्स को सदमा गहरा लगा है। उबर नहीं पा रहे है टीम की हार से। हार के बाद धोनी हंस क्यों रहे है। युवराज ने फ्रेंच दाढ़ी क्यों रखी है। आशीष नेहरा फैंसी टी शर्ट क्यों पहन रहे हैं। हमें परेशानी बहुत होती है। हार का सदमा ऐसा लगा है कि उबर नहीं पा रहे हैं। मैच के हार के कारण कुछ भी हो लेकिन गुनहगार हर कोई खोज रहा है। कोई धोनी तो कोई युवराज बता रहा है। अब इसके गुनहगार को पकड़ना देश की बाकी परेशानियों से ज्यादा बड़ी खबर है। किसी चैनल पर देख रहा हूं कि टीम इंडिया को फटकार कुछ इस तरह पड़ रही है। देश गुस्से में था औऱ टीम पब में थी। ये बात ठीक है कि शराब पीना सेहत के लिये हानिकारक है तो इसका मतलब ये तो नहीं कि देश को गुस्सा सिर्फ टीम की हार का है। देश तो और भी कई बातों पर गुस्सा होता है। क्रिकेट पर गुस्सा उतार कर क्या करेगा देश.... ये कोई क्यों नहीं सोचता। क्या भारतीय टीम ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया कभी । मीडिया का गुस्सा टीम की हार से है या आईपीएल मैचों से। मै तो आईपीएल देखना पसंद नहीं करता लेकिन यहां पर गुस्सा आईपीएल से है...न कि वर्ल्ड कप की हार से।
हो सकता है कि गुनहगार धोनी को टीम इंडिया की कप्तानी से भी हाथ धोना पड़े। ये कोई भविष्यवाणी नहीं है। लेकिन जिस तरह के हालात मीडिया बना रहा है ये मुमकिन है। मीडिया में धौनी ने जो भी कहा वो सही कहा। टीम थकी हुई लग रही थी। किसी खिलाड़ी के खेल में उत्साह नहीं झलक रहा था। जीत की ललक नहीं थी। वर्ल्ड कप जैसे मुकाबलों में जीत की ललक न होना शर्मनाक है। ये भी गलत नहीं है कि आईपीएल भी इसका एक बड़ा कारण है। लेकिन इसके पीछे कारण पैसा नहीं है। ज्यादा खेल है। बीसीसीआई पैसे छाप रही है, टीम इसके लिये पैसे छापने की मशीन है। रही बात खिलाडियों के प्रदर्शन की है तो जिन विदेशी खिलाड़ियों ने हमारी पिचों पर जो धमाकेदार प्रदर्शन किया है उन्ही खिलाड़ियों ने वर्ल्डकप में भी अच्छा प्रदर्शन करके अपनी टीम को सफलता दिलवाई है। हमारी टीम में भी सुरेश रैना जैसा उदाहरण है। लेकिन इस पर नजर किसी की नही गयी।
वर्ल्डकप में कौन जीता कौन हारा उससे देश को क्या फर्क पड़ेगा मुझे तो आजतक समझ नहीं आया। यही टीम इंडिया ने जब पहली बार टी 20 वर्ल्ड कप जीता था तो तब भी मै अपने ऑफिस में रोज़ाना के काम पर जाता था औऱ जब टीम आज बाहर हुई तब भी यही कर रहा हूं। सोचता हूं कि टीम जब जीती थी तो कम से कम नोएडा वालों को बिजली और पानी तो 24 घंटे न सही 20 घंटे ही दे देते...अरे टीम इंडिया ने वर्ल्ड कप जीता था यार ट्वेंटी ट्वेटी घंटे ही दे देते...
मेरे बारे में
- शशांक शुक्ला
- नोएडा, उत्तर प्रदेश, India
- मन में कुछ बातें है जो रह रह कर हिलोरें मारती है ...
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शुक्रवार, मई 14, 2010प्रस्तुतकर्ता शशांक शुक्ला पर 4:43 am
लेबल: खेल खिलाड़ी
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1 टिप्पणियाँ:
bhai hindi to bhot achchi ho gyi h tmhari..;);)
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