शिवसेना और शाहरुख़ 'ख़ान'

बुधवार, फ़रवरी 03, 2010

क्या इंडियन प्रिमियर लीग इस बार भी सुखद तरीके से हो पायेगा। क्योंकि जिस तरह नीलामी के बाद से ही बबाल मचना शुरु हो गया है उसे देखकर लगता है कि आईपीएल के वापस भारत में होने वाले जो एडवर्टीज़मेंट बेकार हो जायेंगे है। शिवसेना जिसका दूर दूर तक किसी भी खेल से कोई वास्ता नहीं है उसको भी इस मामले पर नया मसाला मिल गया है। शाहरुख ने पाकिस्तानी खिलाड़ियों को खरीदने की बात क्या की...शिवसेना का भारत प्रेम जाग गया। मजेदार बात ये है कि ये वहीं शिवसेना है जिनके यहां पर कभी पूर्व पाकिस्तानी कप्तान जावेद मियांदाद बाकायदा भोजन पर बुलाये गये थे।

शिवसेना प्रमुख और उनके पुत्र उद्धव ठाकरे ने शाहरुख को तो देशद्रोही तक मानने लगे है और पाकिस्तानी खिलाड़ियों के मुद्दे पर किंग खान को माफी मांगने को कह डाला है। शाहरुख ने भी माफी न मांगने दम्भ भरा है। क्योंकि ये तो सौ फीसदी सत्य है कि शाहरुख ने पाकिस्तानी खिलाड़ियों को खरीदने की बात कही थी, लेकिन इसके पीछे का कारण है खिलाडि़यों की उपलब्धता। कोई भी टीम ये नहीं चाहती है कि उनके खिलाड़ी टीम के लिये उपलब्ध न हो सके। इसलिये किसी भी टीम ने पाकिस्तानी खिलाड़ियों को खरीदने में रुचि नहीं दिखाई।

लेकिन सवाल ये है कि क्या पाकिस्तानी खिलाडि़यों को खरीदना ज़रुरी है या नहीं। और अगर ज़रुरी है तो वो इसलिये क्योंकि वो इस वक्त ट्वेंटी ट्वेंटी चैम्पियन है। चैम्पियन होने के नाते पाकिस्तानी खिलाड़ियों को तवज्जो न मिलना इस बात को दर्शाता है कि कोई न कोई दूसरा कारण ज़रुर है जिसकी वजह से उन खिलाड़ियों को नहीं खरीदा जा रहा है। टीमें अपना कारण बता चुकी है शाहरुख भी इसी कारण से अपना पक्ष रख चुके है। शाहरुख के अपने पक्ष ने ही उनको मुसीबत मे डाल रखा है। शिवसेना जैसी कट्टरपंथी सिर्फ इसलिये ही दबाव बना रहे है क्योंकि इसमें पाकिस्तानी खिलाड़ियों का नाम है । हां ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों का भी विरोध हो रहा है लेकिन शिवसेना का मुख्य मकसद पाकिस्तान के नाम पर शाहरुख को लपेटना है क्योंकि उनका नाम शाहरुख खान है। औऱ ये बात किसी से छुपी नहीं है कि शिवसेना किस कदर कट्टरपंथी है।

पाकिस्तानी खिलाड़ियों को न लेना या लेना इससे उन्हे कोई फर्क नहीं पड़ता है। ये पाकिस्तानी खिलाड़ियों का लालच है जो न लेने पर उन्हें बैखलाये दे रहा है। पाकिस्तानी खिलाड़ियों के लेने या लेने के मुद्दे पर हर कोई इस मुद्दे पर एक दूसरे के पाले में डाल रहा है क्योंकि इस मामले में पाकिस्तानी खिलाड़ियों का नाम है। अगर कोई और देश होता तो शायद इतना बबाल न होता। पाकिस्तान से भारत की दुश्मनी सालों से चली आ रही है लेकिन आज के मुद्दे पर ये कहना है कि मुंबई पर हुए हमले की वजह से पाकिस्तानी खिलाडियों को न लिया जाए। अपनी जगह सही है लेकिन शाहरुख को गलत ठहराना कि वो पाकिस्तान जाकर बस जायें, ये तो शिवसेना द्वारा  हिंदुत्व की गलत परिभाषा है। शाहरुख को सिर्फ मुस्लिम होने की वजह से निशाना न बनाया जाए। अगर दिक्कत थी तो पहले आईपीएल में क्यों नहीं शिवसेना जैसी कट्टरपंथी पार्टियों ने अपना विरोध दर्ज कराया।

रही बात पाकिस्तान की तो उनसे तो सभी तरह के संबंध तोड़ लेने चाहिये। चाहे वो खेल हो राजनीति है या व्यवसाय। क्योंकि जो देश हमारे खिलाफ षडयंत्र रचता रहता है उससे किसी प्रकार का संबंध गलत होगा। लेकिन शिवसेना की बात की जाये तो उनकी सोच एक दूसरे को हमेशा काटती है। कभी वो पश्चिमी सभ्यता के विरोध में वैलेंनटाइंस डे का विरोध करते है तो दूसरी तरफ माइकल जैक्सन के साथ गलबहियां करते नज़र आते है तो कभी पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलने के विरोध में पिच ही खोद डालते है, लेकिन यहां भी मियांदाद को खाने पर बुलाते है।

अब इसे क्या कहें, इन सवालों पर जवाह चाहे जो भी निकल कर सामने आये लेकिन इस मुद्दे पर यही कहना ठीक होगा कि शिवसेना इस पर खालिस राजनीति कर रही है। और इसी की आड़ में अपने छद्म हिंदुत्व की रोटियां सेंक रही है और कुछ नहीं।

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