जम्मू कश्मीर एक ऐसा मुद्दा रहा जिस पर हमेशा से ही पाकिस्तान और हिंदुस्तान के अलावा भी लगभग सभी देशों की निगाहें बनी रहती है। और पाकिस्तान इसका इस्तेमाल उस वक्त करता है जब उस पर आतंकवादी हमले करवाने का आरोप लगता है। अब जबकि पिछले साल 26 नवंबर को मुम्बई में हुए आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान पर कार्रवाई का जबरदस्त दबाव बन रहा है तो अब एक नया पैतरा खेला गया है। आपको बता दें कि एक खबर के मुताबिक इस्लामी सम्मेलन संगठन (ओआईसी) द्वारा जम्मू-कश्मीर के लिए एक विशेष दूत नियुक्त किए जाने के फैसला किया गया है हालांकि भारत ने इस फैसले को सिरे से खारिज कर दिया है। राजनयिक सूत्रों ने स्पष्ट कर दिया है कि उस विशेष दूत का भारत में कभी स्वागत नहीं किया जाएगा। इसी साल बाराक ओबामा ने जम्मू-कश्मीर और भारत-पाकिस्तान के लिए विशेष दूत नियुक्त किए जाने की तैयारी थी, लेकिन भारत के तेवर को देखते हुए ओबामा ने अपना फैसला बदल दिया था। ओआईसी 57 मुस्लिम देशों का संगठन है। इसका मुख्यालय जेद्दा में है।
हर साल पाकिस्तान के कहने पर ही इस्लामी सम्मेलन संगठन की प्रत्येक बैठक में जम्मू-कश्मीर पर अलग से प्रस्ताव पारित करवाया जाता है। ओआईसी में इस प्रस्ताव को भी पारित करवाने में पाकिस्तान की विशेष भूमिका है। हर बार की तरह पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने और अपनी धरती पर आतंकवादी संगठनों को कई तरह की मदद देने के आरोप लग रहे हैं। इसी बीच पाकिस्तान ने भारत पर दबाव बनाने की ये नई चाल चली है। आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने में आनाकानी के भारत के आरोपों के बीच पाकिस्तान ने यह नई रणनीति अपनाई है। पाकिस्तान की कोशिश है कि वो आतंकवाद के आरोपों को दबाये और जम्मू-कश्मीर के मसले को फिर से अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाया जाये ताकि उस पर से ये आरोप ठंडे बस्ते में जा सके। पाकिस्तान आतंकवाद के आरोपों को जम्मू-कश्मीर से जोड़कर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने पेश करना चाहता है ताकि इसे लोगों के प्रतिकार के तौर पर लिया जा सके।
वैसे तो ओआईसी एक कागजी संगठन है, और इसके प्रस्तावों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय गंभीरता से नहीं लेता। लेकिन, सऊदी अरब के अब्दुल्ला बिन अब्दुल रहमान अल बकर को जम्मू-कश्मीर पर विशेष दूत नियुक्त करने का फैसला इस्लामी दुनिया में जम्मू-कश्मीर के मसले पर नई रुचि पैदा करता है। विदेश मंत्रालय ने ये साफ तो कर दिया है कि ओआईसी के विशेष दूत का भारत में कभी स्वागत नहीं होगा लेकिन देश में गद्दारों को कमी नहीं है, इसलिये कश्मीर की भलाई का राग अलापने वाले हुर्रियत के नेता इस तथाकथित विशेष दूत का स्वागत करेंगे और बातचीत में भी हिस्सा लेंगे। कश्मीर इन दिनों किस कदर भारत पर दबाव बनाने का हथियार बन रहा है इसका उदाहरण कुछ दिन पहले ही सामने आया था जब भारत का दोस्ती के मुखौटा पहनने वाल सबसे बड़ा दुश्मन चीन के भारतीय दूतावास में जम्मू-कश्मीर के लोगों की वीजा अर्जी पर पासपोर्ट के बजाय अलग पेपर पर वीजा मंजूरी की मुहर लगाना शुरू किया था जिसका भी भारत ने विरोध किया था। लेकिन इस विरोध का कितना असर हुआ है इसका पता नहीं चल पाया । अब ओआईसी का यह नया फैसला भारत के लिए इस्लामी दुनिया में रामुजनयिक मुश्किलें पैदा कर रहा है। लेकिन भारत अपनी हमेशा वाली नींद सोया हुआ हैं। औऱ इन मामलों को गंभीरता से नहीं ले रहा है। जो कि आगे चलकर बड़ी परेशानी की कारण बनेगा।