जब बात दिल से लगा ली तब ही बन पाए गुरु
4 दिन पहले
आस्ट्रेलिया में भारतीयों पर हो रहे हमले पर आम भारतीय जाग रहा है पता नहीं हिंदुस्तान कब जागेगा। ये कहना कि आम भारतीय ही हिंदुस्तान है गलत होगा क्योंकि एक आम भारतीय कभी भी हिंदुस्तान नहीं होसकता है। क्योंकि अगर होता तो वो कबका जाग चुका होता।जितने दिनों से आस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों पर हमले हो रहे है, उस पर आम जनता को ही इसके खुल कर सामने आना चाहिये था। यहीं नहीं जिस तरह से भारतीय सरकार भारतीयों को लेकर रवैया अपनाती है उसे देखकर तो लगता है कि जैसे वो देश के नागरिक ही न हो।
पिछले लगभग एक साल से आस्ट्रेलिया में भारतीयों पर जानलेवा हमले हो रहे है। और इसके पीछे बाकायदा नस्लीय मुद्दा है। लेकिन न तो ऑस्ट्रेलिया ये मानता है और न ही इसके लिये कुछ करता है ताकि ये खुलकर सामने न आ जाये कि ये नस्लीय हिंसा है। आस्ट्रेलियन सरकार इस बात को मानने को बिलकुल तैयार नहीं है कि ये हिंसा नस्लवादी है।जबकि पुलिस को इसके लिये विशेष अधिकार भी दिये गये हैं, लेकिन इसके बाद भी वहां पर हिंसा का वारदात कम होने का नाम नहीं ले रहा है। वहां पर हिंसा के शिकार हुए भारतीय लोग ऑस्ट्रेलिया का दलील से इत्तेफाक नहीं रखते है। शायद हमें पता हो कि किसी अमेरिकी या ब्रिटिश नागरिक के साथ ऐसी कोई वारदात हो जाती है तो शायद उसने ऑस्ट्रेलिया में बबाल मचा दिया होता, यही सोच उसको मज़बूत बनाती है, और इसी वजह से दुनिया का महाताकत है, क्योंकि उसकी ताकत उसके नागरिक है जिनके लिये वो सारे विश्व को हिला सकता है। क्या बाकी विश्व में, और भारत में अमेरिकी पर कोई हमला होता है, कुछ भी करने से पहले दिमाग में ये बात होती है कि वो अमेरिकी है।इसीलिये उनके साथ कोई कुछ नहीं कहता। यही नहीं हमारे यहां के नपुंसक नेता भी इस पर अपने वर्जन दे चुके होते। लेकिन शायद ऐसा भारत में ही हो सकता है कि भारतीय पर हमला हो और भारत उसके लिये सिर्फ फाल्तू बातों के अलावा कुछ न करे।
समझ में ये नहीं आता कि जो देश अपने लोगों की सुरक्षा के लिये कड़े कदम नहीं ले सकता है उसके नेताओं को देश का नेता होने का हक क्यों मिल जाता है। देश के नागरिकों की सुरक्षा न कर पाने वाले नेताओं को भूलकर भी वोट न देने का कसम खानी पड़ेगी। शर्म की बात है कि भारत अपने ही नागरिकों पर हो रहे हमले के बाद भी कुछ नहीं कर पा रहा है। इसके बाद सारे विश्व में भारतीयों और उनके देश को लेकर जिस तरह की इमेज बन रही होगी इसका तो सिर्फ अंदाजा लगाया जा सकता है
3 टिप्पणियाँ:
यथार्थ लेखन।
गांभीर्य का परिचय।
हम कोशिश कर रहे हैं, आप धैर्य धरें
निशित रूप से ....
मेरी जानकारी में हिन्दुस्तान में भी यदि किसी को citizenship चाहिए तो उसे कम से कम पांच साल लगते है / और लगभग यही avadhi दुनिया के हर देश की है वो चाहे तीसरी दुनिया को हो या पहली दुनिया का / फिर ऑस्ट्रेलिया में ऐसा क्या है जो वो सिर्फ दो साल में वो भी स्टुडेंट वीसा पर भी PR ship दे रहा है ? ये तो पावडर के एक डिब्बे के साथ एक और डिब्बा free देने वाली बात हुई......लेकिन ऐसा तो सिर्फ उन products के साथ होता है जो बिकते नहीं है..लगभग यही हाल ऑस्ट्रेलिया में skilled labour का है / और तो और ऑस्ट्रेलिया के दूर प्रान्तों जैसे की perth और आस पास के गाँव me में तो ये PR ship एक ही साल में मुहैय्या हो जाती है / ये पूरा साजा कार्यक्रम ऑस्ट्रलियन universities और labour department का है /और अभी भी वे चुप इसीलिए हैं क्योंकि वे जानते हैं की ये घटनाओं पे कठोर प्रतिक्रिया उनके स्किल्लेद लेबर की संख्या पर आघात होगी,इसलिए जैसा चल रहा है चलने दो /
लेकिन ताली एक हाथ से नहीं बजती..हम भी तो कठोर कदम उठा सकते हैं......
हमले की ख़बरों में सारी जानकारी होती है सिवाई इसके की हमले के पीछे की कहानी क्या है ? ........एक कारण मुजहे ये भी लगता है की चूँकि इन देशों की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा टुकड़ा विदेशी विद्यार्थियों से आता है इसलिए वो उन लोगो को भी आने से नहीं रोक रहे जो स्टुडेंट वीसा के बहाने वहां सिर्फ काम करने जाते हैं..और उनका कम पड़ा लिखा होना या उच्चा शिक्षा के लिए न जाना उन्हें विद्यार्थी की श्रेणी में नहीं रखता...इस लिए पूरा दृश्य है तो विद्यार्थियों को लेकर उनके part time job को लेकर ...लेकिन ये सब इतना सीधा सीधा भी नहीं जितना दीखता है...
?
मेरी सोच के दोनों पक्ष रखने की कोशिश की मैंने शशांक भाई... बाकि...आपके ब्लॉग पर पहली बार आया था..अच्छा लगा..
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