देश को अंग्रेजों से मुक्ति दिलाने वाले मोहन दास करमचंद गांधी के उपनाम के साथ एक ऐसा गांधी भी है जो क्रांतिकारी विचार वाले हैं और वो हैं वरुण गांधी ..जी हां इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी की क्रांतिकारी छवि को नया आयाम देने के लिए अब राजनीति के मैदान में उतरे हैं वरुण गांधी....नया जोश है या नया ख़ून ये तो नहीं पता पर अपने पिता की छवि उनमें साफ देखने को मिल सकती है....पीलीभीत में दिये गये उनके भाषण में एक बात तो साफ हो रही है कि वो कितना भी ये कह लें कि वो किसी भी धर्म विशेष के ख़िलाफ़ नहीं हैं लेकिन उनके भाषण में धर्म विशेष के लिए की गई टिप्पणियों से सब साफ़ हो रहा है...इतना ज़रुर है कि अगर इस तरह के तीन चार भाषण वो दे दें तो देश में सांप्रदायिकता की आग अवश्य लग जाएगी....हिन्दुत्व की बात करने वाले लोगों में वरुण प्रसिद्ध हो गये हैं...ठाकरे जैसे लोगों के लिए वो हिंदुत्व के नए सिपाही हैं ...चाहे इस भाषण के बाद वरुण सभी से माफ़ी की बात कह रहे हों पर दिल की बात कभी न कभी तो ज़ुबान पर आ ही जाती है....आगे की बात फिर कभी क्योंकि अभी वरुण को बहुत कुछ देखना अभी बाकी है....
जब बात दिल से लगा ली तब ही बन पाए गुरु
3 दिन पहले
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