लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद चुनाव की आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है पर जिस देश के राजनीतिज्ञ को वहां के आम लोग अपना आदर्श मानना छोड़ दें । वहां के राजनीतिज्ञों से आदर्श आचार संहिता का पालन करने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। एक बात का तो कम से कम हम आम वोटरों को दिमाग में रखना ही चाहिए कि पूरे पांच सालों बाद लोकसभा के चुनाव आते हैं। ये बात अलग है कि ऐसी नौबत कम ही आईं है। और फिर अबकी बार सरकार ने पूरे पांच साल भी पूरे कर लिए है । ऐसे में चुनाव होने वाले हों तो हर नेता यही कहेगा न कि कौन सी आचार संहिता ? कैसी आचार संहिता ? सब चलता है मेरे दोस्त । अपने ही वोटरों को सपने दिखाकर ख़ुद के सपने पूरे करने के बाद भी हर चुनाव में हमारे राजनेता वोट मांगने से ज़रा सा भी नहीं कतराते हैं । कभी होली का नेग कहकर पैसा दिया जाता है तो कभी मौलाना पर पैसे की गंगा बहाई जाती है। कोई नेता सिनेमा हॉल में फिल्म दिखाकर अपने कार्यकर्ताओं समेत सभी लोगों को आचार संहिता का पालन करने का संदेश देने का पाठ भी पढ़ाते हैं । अरे भाई जो लोग संसद की मर्यादा का पालन नहीं कर पाते वो चुनाव की आदर्श आचार संहिता की पालन कैसे कर सकेंगे।
जब बात दिल से लगा ली तब ही बन पाए गुरु
3 दिन पहले
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