सालों बाद
पिछले कुछ दिनों से
फिर वही एहसास .....
बरसों पहले छू गया था वो
कुछ दिनों से
पास से गुजरता....
फिर वही एहसास.....
कैसे शब्दों में उलझाउं
निशब्द उलझा हूं....
मेरी नज़रों के पास..
फिर वही एहसास ........
अंजानी क्यों पहचानी सी.....
नैनों में प्यास पुरानी सी
कुछ तो खास है.....
उफ़....
.क्या कहूं..... क्या करूं.....
फिर वही एहसास .....
पहले भी पहल नहीं ...
अब भी रुका हूं
लेकिन
इस दिल में उठा
फिर वही एहसास है
8 टिप्पणियाँ:
भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति...
लेकिन इशारा किनकी तरफ है...
बहुत अच्छा ,लाजवाब .
पोला की बधाई भी स्वीकार करें .
बहुत बढ़िया.
कृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.
नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'
अच्छे अहसास हैं।
अरे आप तो कविता नहीं लिखते थे...किसकी कविता चिपका दी...नाम तो दे देते उसका...हा हा हा हा
aapne to bhut hi mast kavita likhi hai
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