किस्मत क्या है ?

बुधवार, फ़रवरी 17, 2010

मन दुखी है इसलिये कुछ ऐसा लिख रहा हूं जिसको पढ़कर हो सकता है कुछ लोगों को अजीब लगे। ये भी हो सकता है कि कुछ लोग मेरी बातों से सहमत हो। लेकिन जो मेरे साथ  हो रहा है उसको देखकर पता नहीं क्यों मुझे महसूस हो रहा है कि जो लोग किस्मत को बलवान बताते है शायद वो सही कहते है।

बहुत दिनों से बेकार घर बैठने के बाद एक जगह से कॉल तो आई नौकरी के लिये, हां ये बात अलग है कि उस कंपनी की हालत खराब है और वहां पर लोगों को तीन तीन महीने से सैलरी के दर्शन तक नहीं हुए है, लेकिन फिर भी पता नहीं क्यों वहां से आये बुलावे ने मुझे वहां जाने के लिये मजबूर कर दिया। सोचा था कि जहां से करियर की शुरुआत हुई  और वहीं से लगभग अंत भी..तो मुझे लगा कि क्यों न जब एक और शुरुआत वहीं से करने को मिल रही है तो मौके का इस्तेमाल करना चाहिये। लोगों ने बहुत समझाया कि वहां जाना ठीक नहीं है, लेकिन घर बैठकर बेकार की बातें सोचने से अच्छा कहीं पर बिना सैलरी के काम करना है। वो भी तब जब आप खाली बैठे हों।

बुलावे पर चले तो गये,पर हालत सामान्य नहीं थे। बाकायदा वहां के एच आर से बात भी हुई, उन्होने इंटरव्यू भी लिया, चलो यहां तक तो ठीक था। अगले दिन ज्वाइनिंग का दिन था। ज्वाइनिंग का फार्म मेरे हाथ में था, मै उसको भरने ही जा रहा था कि अचानक मेरे फोन की घंटी बज उठी। मुझे फिर से एच आर के ऑफिस में तलब किया गया। वहां से मुझे वो अपने साथ न्यूज रुम की ओर ले गये। जहां पर बैठे ज्यादातर लोग मेरे जानकार थे। और शायद ज्यादातर शुभचिंतक भी। मुझे इंचार्ज से मिलवाया गया औऱ बस मै उनसे शिफ्ट की बात करने ही वाला था कि......

एक फोन बज उठा और उसको उठाने वाले व्यक्ति ने मुझको बताया कि एक बार फिर से मुझे एच आर के ऑफिस में बुलाया गया है। अब इस बार जो होने वाला था उसका मुझे अंदाज़ा कम ही था। क्योंकि जब आपके सामने सब कुछ ठीक चल रहा हो औऱ चीज़े फाइनल दौर में हो तो आल इज वैल...यहीं लगता है।

एचआर मुझसे पहले किसी और से बातों में मशगूल था। उनके बाद मेरा नंबर आया। कुछ देर चुप रहने बाद एच आर बोले
" शशांक देखो ऐसा है कि आपका समय बर्बाद करने के लिये सॉरी,
मैने पूछा क्यों सर क्या हुआ
देखो ऐसा है कि तुमसे पहले किसी को बुलाया था, पहले वो नहीं आ रहा था लेकिन अब आ गया है तो मै आपको अभी ज्वाइन नहीं करवा सकता हूं।

एक बार के लिये मै सन्न रह गया लेकिन फिर अपने आप को संभाला और एक सवाल दाग दिया
ठीक है सर पर..ये तो आपकी बात हुई...अब सच क्या है ये बता दीजिये

देखो शशांक तुम तो जानते हो..कभी कभी लगाई बुझाई की वजह से हमें नीचा देखना पड़ता है। अब क्या कह सकते है इससे ज्यादा। बस तुम्हारा समय खराब करने के लिये माफी मांग सकता हूं। इतना कह सकता हूं कि फिलहाल तुमको नहीं रख सकते।


मै उनके इस जवाब के बाद चुप हो गया और चुपचाप उनके कैबिन से निकल कर बाहर आ गया, न सिर्फ बाहर बल्कि बिलकुल बाहर। उनके इस जवाब के बाद मुझे ज्ञात हो गया कि हो न हो किसी ने मेरे खिलाफ कोई न कोई साज़िश रच डाली है। न्यूजरुम में बैठे मेरे शुभचिंतक लगने वाले लोगों में से कोई न कोई मेरा दुश्मन था जो मुझे पसंद नहीं करता। लेकिन सच कह रहा हूं आज तक कभी मैने किसी को अपना दुश्मन नहीं होने दिया है।

इस घटना के बाद अब सोचने को मजबूर हो गया हूं कि ये कैसा किस्मत का खेल चल रहा है। एक तरफ सब ठीक होता नज़र आता है तो दूसरी तरफ राजनीति का शिकार होता मै। किसको दोष दूं खुद को, कंपनी की पालिसी को या फिर उस आदमी को जिसने मेरे खिलाफ साजिश रची  है।

क्योंकि पहले मै वहां पर काम कर चुका हूं इसलिये मेरे काम के बारे में वहां काम करने वाले लोग अच्छी तरह से जानते है। लेकिन अब किया भी क्या जा सकता है क्योंकि जिस देश का राजा निरंकुश हो वहां की हालत अच्छी कैसे रह सकती है। उसका को सर्वनाश उन्ही के पिछलग्गू ही करते है

6 टिप्पणियाँ:

Mithilesh dubey ने कहा…

आप हिम्मत ना हारो भाई , लगे रहिए ।

आप धैर्य रखकर दुनिया को समझने की कोशिश करें .. ऐसे समय में ही तो अच्‍छे बुरे की पहचान होती है .. इसलिए तो प्रकृति सबके समक्ष कभी कभी समस्‍याऐ पैदा करती है !!

Aadarsh Rathore ने कहा…

शशांक, तुम हिम्मत मत हारो। जो हुआ है अच्छे के लिए ही हुआ है। ईश्वर ने तुम्हारे लिए और बेहतर स्थान चुना है। और इन नीच लोगों की दुर्गति के तो तुम खु़द गवाह हो। कहां से कहां पहुंच गए और अब भी अक्ल नहीं है इन्हें। धैर्य धरो... परम् पिता परमेश्वर न्याय करेंगे। इन्हें तो बददुआ भी मत देना... खुद अपने हश्र के लिए जिम्मेदार है।

बी. एन. शुक्ल ने कहा…

प्रिय शशाँक,
निराश मत हो, जीवन में ऐसी कई घटनाएं होती है जो निराशा को जन्म देती है, समय चक्र हो सकता है इस वक्त आपके विपरीत हो, परन्तु यह इस बात का सूचक अवश्य है कि अच्छा समय आयेगा ही। ऐसी घटनाओं से खुद को मजबूत बनाओ, हिम्मत न हारो, चाण्क्य से शिक्षा लो। अनुकूल अवसर अवश्य आयेंगे। उन्हें इन्ही के भरोसे छोड़ दो। जो होता है अच्छा ही होता है, सम्भव है कि आने वाले समय में इससे कहीं बेहतर अवसर आपकी प्रतीक्षा कर रहा हो।

ज्योति सिंह ने कहा…

sabne sahi salah di hai meri bhi yahi rai hai ,himmat se kaam le

Invisible ने कहा…

bhai sab thek hi jayega...isse bhi achha likha hai kismat me tumhare sayad isis liye ais hua...khud mere sath bhi yahi ho raha hai..kismat kharab chal rahi hai..but the only thing which we have to think that..the support of family and the happines....persuit of happiness dekho...all the best...god bless u...

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