पिछले दिनों गुस्ताखियों का कुछ ऐसा दौर चला कि नेताओं ने अपनी ही पोल खोल दी। पहले महाराष्ट्र के नेता महाराष्ट्र के लोगों की बात करते थे तो शिव सेना ने मराठियों को अपनी असलियत बता दी, ये भी साफ कर दिया कि उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन मराठी है और कौन उत्तर भारतीय। उत्तर भारतीयों के विरोध से चुनाव जीता और मराठियों ने उनकी इस चुनावों में जो बखिया उधेड़ी तो लगे बकर बकर करने मराठियों के खिलाफ़। उन्हें ही गालियां बकने लगे। जैसे ही लगा कि मराठी वोट नही मिल रहे है तो बोलती बंद कर ली अपनी ही । लेकिन सवाल मराठी नहीं है सवाल है बिहारी या कहें कि यूपी बिहारी, राज ठाकरे की तो सारी राजनीति ही इन पर चल रहा है। सोचता हूं कि अगर यूपी बिहार वाले महाराष्ट्र न जाये तो राज ठाकरे की पार्टी तो कभी उभर ही नहीं पायेगी। मुझे लगता था कि सिर्फ महाराष्ट्र में ही राज ठाकरे है लेकिन मै गलत था ।एक और राज ठाकरे ने अब अपने पर फैलाये है, औऱ वो है बीजेपी के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान। इनका कहना है कि उनके प्रदेश में सिर्फ उन्ही कंपनियों को घुसने दिया जायेगा जो मध्यप्रदेश के लोगों को काम देंगे। यहां तक तो ठीक था लेकिन उन्होंने तो ये भी कह दिया कि काम न सिर्फ मध्यप्रदेश को लोगों को ही दिया जाये बल्कि ये भी कह डाला कि बिहारियों को न दिया जाये। उनके शब्दों में कहें तो किसी बिहारी को यहां काम नहीं दिया जाये और सिर्फ उनके लोगों को काम दिया जाये। अब इसे कहते है एकता में अनेकता
सच ही है कि कहावतें भी समय के साथ बदलती है ।पहले मज़ाक लगता था लेकिन आज लगता है कि सच है ,बचपन से पढ़ते आ रहे थे कि अनेकता में एकता है हमारे देश में, लेकिन इसका सार आज के परिवेश में उचित नहीं लगता, देश के हालातों को तो देखकर यही लगता है कि आज अनेकता में एकता नहीं है बल्कि एकता में अनेकता है। ये अलग बात है कि पलटने की फितरत और खुद के अस्तित्व को भी नकारने की हिम्मत रखने वाले हमारे नेताओं की फेहरिस्त में शामिल शिवराज सिंह अपनी बात से पलट गये। औऱ माफी मांग ली लेकिन दिल की बात को उत्तेजना में दबा नहीं पाये। औऱ दिल की बात सामने आ गयी। उम्मीद के मुताबिक मुकर गये औऱ अपनी सफाई दे दी लेकिन अब क्या कहें सच तो सच है कभी भी सामने आ जाता है जब दिमाग में उत्तेजना भर जाती है हम बनावटी बातें नहीं कर पाते है जो दिल में होता है बक देते है, सच में कभी ट्राई करियेगा सही बोल रहा हूं।
जिस प्रकार की घटनायें देश में घटित हो रही है उसमें एक बात तो कॉमन है कि सब के सब यूपी बिहार वालों से बहुत चिढ़ते है पता नहीं क्यों, पर चिढ़ते है। हो सकता है शायद इसलिये की यूपी बिहार के लोग ज्यादा टैलेटेड है । अरे ये मै नहीं मानता और भी प्रदेशों में टैलेंटेड लोग है लेकिन यूपी बिहार वालों की संख्या ज़रा ज्यादा है ऐसा यूपी बिहार वालों को लगता है क्योंकि हर जगह उनका ही विरोध होता है। इसलिये लोगों की चिढ़ ज़रा ज्यादा है। मेरी बातों को बल देने के लिये नितीश भी आगे आये है जो बिहार के मुख्यमंत्री है , इसलिये उनका चुप रहना गलत होता और ये बात लालू के लिये फायदेमंद साबित होती जो कि नहीं हो पाई।
जब बात दिल से लगा ली तब ही बन पाए गुरु
4 दिन पहले
5 टिप्पणियाँ:
शशांक बहुत ही शानदार.. मज़े की बात ये है कि ये लोग देशभक्ति का राग अलापते हैं और हिंदी राष्ट्रभाषा में शपथ लेने वालों को धमकी देते हैं। अपने देश में रहने वालों पर रौब झाड़ते हैं और जब मुंबई में हमला होता है, तो भीगी बिल्ली की तरह घर में दुम दबाकर बैठ जाते हैं। सलाम मराठी लोगों को.. जिन्होंने उन्हीं के हथियार से उन्हीं को करारा जवाब दिया है।
शशांक जी बात तो सही कही आपने। भारतीय राजनीति ही धूर्तता के चरम पर पहुँच गयी है। ये राज ठाकरे जिस क्षेत्रवाद की राजनीति कर रहा है, ये इसके लिये बहुत भारी पडने वाली है। जिस देश में आज भी 50 प्रतिशत लोगों को 2 वक़्त का खाना ढंग से नसीब नहीं होता वहाँ के मधु कोड़ा सरीखे राजनेता जनता के पैसे को हजम कर जाते हैं और साले पकडे जाने पर पेट दर्द का बहाना बना अस्पताल में भर्ती हो जाते है और राज ठाकरे जैसे नेता क्षेत्रवाद की राजनीति में ही अपनी ज़िन्दगी धन्य समझ रहे हैं। और इन शिवराज चौहान को जाने कौन सा कीड़ा काटा है कि राज्य प्रेम जाग गया....भई देश को पहले ही 29 टुकडों में बाँट रखा है......अब लगता है कि दूसरे राज्यों में जाने के लिये भी वीजा माँगना पडेगा। शर्म आती है विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की राजनीति पर.....
कल ही तुम्हारे खिलाफ धरना दिया जाएगा, हर-हर महादेव.............
शशांक ये लेख प्रिंट पर प्रकाशित होने के लिए डिज़र्व करता है...
बहुत उम्दा
आपने सही लिखा है। कोई भी ठाकरे हो सब के सब यही करते है। शिव सैनिकों की जिस तरह लात पड़ी है वैसे ही राज को भी राजसी लात पड़ेगी जल्दी ही, जय मराठा वन मानुष।
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