पिछले कुछ महीनों से परेशान होने के बाद शांति की तलाश में काफी जगहों पर मुझे भटकना पड़ा। समस्या तब सामने आयी ,जब ये सोचना पड़ी कि जायें तो जाये कहां। खानाबदोश जीवन में भी अपना एक मजा है, इसलिये मै निकल पड़ा अपना सामान बांधकर, काफी सोच विचार के बाद ये तय किया कि मै पहाड़ो पर जाकर कुछ शांति की तलाश करुं। ये जो तस्वीरें आप देख रहे हैं उनको देखकर आपको इसका एहसास ज़रुर होगा
इन तस्वीरों की खूबसूरती यहीं खत्म नहीं होती है, हिमाचल प्रदेश में अच्छी जगहें तो बहुत है लेकिन इस बार योजना बनीं कुल्लु और मनाली की, पहाड़ों के बीच से बहती नदी का बहाव
और दो पहाड़ों के बीच दिखते बादलों का झुंड, इन सभी नज़ारों के बीच ख़ुद को पाकर दिल बागबाग हो गया है, एक बात दिमाग में आई कि हिमाचल में जाकर वहां के लोक गीतों और
लोक नृत्यों को देख लेना बहुत किस्मत की बात है।चारों तरफ से पहा़ड़ों से घिरा मणीकरण, वहां के एक स्कूल में चल रहे सांस्कृतिक कार्यक्रम को देखने का मौका मिला, वहां पर आसपास के सभी स्कूलों के बच्चे मौजूद थे जो अपनी कला से अपने प्रदेश की खूबसूरती को दिखा रहे थे, औऱ वो भी अपनी लोकनृत्यों औऱ गायकी से..
4 टिप्पणियाँ:
खूब शशांक जी। मतलब खूब मजे किये आपने।
बहुत सही जगह घूम आये आप तो!!
कमाल कर दिया यार, तस्वीरें देखकर तो मेरा मन भी जाने के लिये बेकरार होने लगा। खूबसूरत
jai ho
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