भारत के बारे हम लोगों में इतनी गलतफहमियां है हमारे मन में कि हमें लगता है कि भारत का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। अक्सर आपने, मैने औऱ दूसरे लोगों ने सुना या कहा ज़रुर होगा कि हमारे देश का कभी कुछ बिगड़ सका...हमारे नेताओं के मुंह पर हर वक्त रहता है कि भारत पर कितने ही आक्रमणकारियों ने हमले किया लेकिन भारत का अस्तित्व आज भी है। उसका कुछ नहीं बिगड़ा। बचपन में किताबों में भी यहीं पढ़ा कि हमारे देश पर यूनानियों ने हमला किया, फिर उसके बाद तुर्क आक्रमणकारी आये, औऱ उसके बाद अंग्रेज आये। एक बात सबमे समान थी कि सभी लुटेरे थे। सभी भारत को लूटने के इरादे से ही आये थे। लेकिन हमने किताबों में ये भी पढ़ा कि हमारे भारत का कभी कुछ नहीं हुआ। मै तब सोचता था कि सम्राट अशोक जब राज करते थे तो इसी भारतवर्ष की हदें अफ़गानिस्तान, तक फैली हुइ थी। पाकिस्तान हो या बांग्लादेश, तिब्बत, भूटान, सभी देश उस वक्त भारतवर्ष कहे जाते थे। लेकिन क्या ये आज हमारे साथ है। नहीं है। क्यों नहीं है क्योंकि तरह तरह के आक्रमणकारी हमसे हमारी ही ज़मीन छीनकर ले गये है। हमारे खजानों का लूटा। मंदिरों को लूटा, मंदिरों को तोड़कर वहां अपने अपने धर्मस्थल बनाये। यहां तक सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत को लूट लूट कर बिना परों वाली चिड़िया बनाकर छोड़ गये। और हम कहते है कि भारत का कभी कुछ नहीं हो सकता...कितने ही आक्रमणकारी आये और चले गये लेकिन कोई भी भारत का कुछ नहीं बिगाड़ सका।।....
ये तो बात थी हमारे इतिहास की। लेकिन वर्तमान में भी हमारे नीति निर्माताओं ने भी किसी तरह की पहल नहीं की। इतिहास को तो ये कहकर हम अपना पीछा छुड़ा सकते हैं कि वो हमारा इतिहास था... लेकिन आज का क्या करेंगे। साठ साल पहले बांग्लादेश बना क्या कर लिया हमने....पाकिस्तान बना क्या कर लिया हमने.....चीन लगातार अपनी सीमायें बढ़ा रहा है यकीन ना हो अरुणांचल प्रदेश जाकर देख लीजिये। जहां लगातार उसकी सीमा बढ़ रही है। क्या कर रहा है भारत...सीमा इस कदर बढ़ा रहा है कि उसने अपनी अधिकार तक जमा लिया है उस पर... और उसे अपनी ज़मीन बताता है। कश्मीर में जो हो रहा है उस पर क्या कर लिया हमने। चलो पहले कुछ नहीं कर पाये अब क्या कर ले रहे हैं। लगातार उसने हमारे ज़मीन पर कब्जा कर रखा है। यहां तक की जिस सीमा को हमारे अंदर होना चाहिये वो हमारी नहीं है। हमारे प्यारे मानचित्र में हम जिस कश्मीर को देखते हैं...अगर किसी का बच्चा ये कहने लगे कि कश्मीर के उस हिस्से में जाना है तो शायद ही आप ले जा पायें। क्योंकि कि वो तो भारत में है ही नहीं। इसी कारण से भारत में अपनी सीमाओं में फेरबदल कर लिया है और उन सीमाओं से पहले ही अपने बार्डर बना लिये है। शायद इसलिये कि जितना है उसे बचा पायें पर पता नहीं बचा पायेगें या नहीं...क्योंकि घुसपैठ तो रोक नहीं पा रहे हैं ...। बांग्लादेश सीमा चलें तो वहां तो इस बात के जीते जागते उदाहरण हैं। बांग्लादेशी सीमा पर बसने वाले आधे से ज्यादा गांव और तीस हज़ार से ज्यादा बांग्लादेशी भारत की सीमा के अंदर रहते हैं। तो उसे भी हम भारत की ज़मीन न ही कहें तो अच्छा है क्यों कि उन ज़मीनों को आज तक खाली नहीं कराया जा सका है। हां बांग्लादेश से भारतीयों को जूते मारकर बाहर ज़रुर कर दिया गया है। वहां पर हिंदुओं का क्या हालत है ये आप तस्लीमा नसरीन की किताबों में पढ़ सकते है। और मै इसलिये नहीं कह रहा हूं कि वो हिंदुओं का समर्थन करती है बल्कि इसलिये क्योंकि हमारे भारत का ही मुस्लिम समाज उनसे नफरत करता है। सिर्फ इसलिये क्योंकि बांग्लादेश की उस हकीकत को उजागर करती है जिनका किसी को पता नही चलता । राजनैतिक स्तर पर सब ठीक दिखने वाली स्थिति अक्सर झूठी साबित होती है। तो उस सीमा पर भी भारतीयों का हक नहीं बचा है। अब बाकी सीमाओं का क्या बात करुं वहां तो पहले से ही आपस में ही नक्सलियों ने आतंक मचा रखा है। वहां की बात करना तो ठीक है ही नहीं । बात करते दक्षिण पूर्व की तो ये भारत का वो हाथ है जिस पर किसी का ध्यान नहीं जाता और वो दिन दूर नहीं है जब वो हाथ जो कि इस वक्त मानचित्र में काफी कमज़ोर दिखाई देता...औऱ कभी भी टूट सकता है। और ये हकीकत है कि अलगाववाद सबसे ज्यादा उन क्षेत्रों में ही फैला है। क्योंकि उस ओर किसी का ध्यान नहीं जाता है। तो कौन कहता है कि हमारे भारत का कभी कुछ नहीं बिगड़ सकता है क्योंकि कई आक्रमणकारी आये औऱ चले गये लेकिन आज भारत का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सका...आपको पता नहीं हंसी आई या नहीं पर मुझे बहुत आती है। कमाल है भारतवर्ष और कमाल के लोग है यहां के....
7 टिप्पणियाँ:
इतिहास के विस्तृत अध्ययन के लिए मैं आपको एक पुस्तक दूंगा...
Sahi kaha aapne.
( Treasurer-S. T. )
ही...ही....ही...ही.....आपने तो स्थिति का वर्णन पहले ही कर दिया.....और मैं आगे की सोच कर हंस रहा हूँ....आगे हमारी उत्तर पश्चिमी सीमा पाकिस्तान....उत्तरी और उत्तरी-पूर्वी सीमा चीन...पूर्वी सीमा बर्मा...ओ सॉरी म्यांमार हड़प लेंगे....वसुधैव कुटुम्बकम को मानने वाला यह देश यह अलापता ही रह जाएगा,,,,कि कोई हमारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता....!!
बिलकुल ठीक कहा आपने शशांक जी। इसी वजह से देश की पहचान एक नपुंसक राष्ट्र की बन रही है ना कि शांति दूत की
तुम तो देशद्रोही हो। तुम ही क्यों नहीं किया
बहुत सही लिखा है आपने...मैं तो बस इतना ही कहना चाहता हुं--
हम कौन थे, क्या हो गए है?
और क्या होंगे कभी!
आओ विचारे आज मिलकर
ये समस्याए सभी...
बहुत अच्छा लेख लिखा आपने
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