बात कर रहा हूं मै कसाब के वकील की ....ये वही जनाब है जो मुम्बई ब्लास्ट में कई अपराधियों की जान बचा चुके हैं....अब अज़मल कसाब का केस लड़ने उतरे हैं और इसके लिए उन्होंने अपना पहला दांव चल भी दिया है...कसाब ने एक याचिका दाखिल है उसके हिसाब से वो वारदात के समय किशोर था...उसका ये दांव कोर्ट ने फेल कर दिया...एक बात है जो हैरान कर देने वाली है कि कसाब का केस शुरु हो गया है इसलिए अब फैसले की उम्मीद तो नहीं करना चाहिए...हां कोर्ट की कर्रवाई में यूं ही समय बीतता जाएगा लेकिन कसाब अपनी आराम की ज़िदगी जी कर चैन की मौत मर जाएगा॥लेकिन फैसला नहीं आएगा॥क्योकि जनाब ये इंडिया है इंडिया जहां मारने वाले से ज्यादा बचाने वाले होते हैं....इसलिए कसाब को फांसी मिले इसकी उम्मीद ज़रा कम ही है...दिल दुख़ता है जब संसद के दोषी को सज़ा नहीं दी गई॥लोग मरे देश जला॥संसद की इज्जत गई सो अलग॥लेकिन हमारी जेलों में कैद आतंकवादियों को सज़ा नहीं मिल पाई....
मेरे बारे में
- शशांक शुक्ला
- नोएडा, उत्तर प्रदेश, India
- मन में कुछ बातें है जो रह रह कर हिलोरें मारती है ...
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शुक्रवार, अप्रैल 17, 2009प्रस्तुतकर्ता शशांक शुक्ला पर 10:14 pm
लेबल: देश की चिंता
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1 टिप्पणियाँ:
जनाब बहुत अच्छा लिखा है सबसे पहले शुभ कामनाये अब मैं आप की इस बात से सहमत नहीं हूँ की ये इंडिया है और यहाँ सजा दिल बने वालो से बचाने बाले ज्यादा है, जनाब हर समाज से जुड़ा व्यक्ति और शुद्ध चारित्र्य का व्यक्ति जिसके अन्दर जरा भी देश भक्ति की भावना शेष है या जरा भी अपने देश से प्यार करता है वो बिलकुल नहीं चाहेगा की देश के साथ धोका करने वाले को सजा न मिले बल्कि वह तो उन्हें सजा दिलवाने का हर संभव प्रयाश करगे पर वो करे क्या किस्से सजा सजा दिलवाये IPC,CRPC.SPC से ये जो सरे कानून अँगेरेजो के बनाये हुए है इनसे तो सजा हो ही नहीं सकती और ये सजा देने के लिए बनाये हो नहीं बल्कि ये तो भारती लोगो कानूनन गुलाम बनाने का तरीका था और हम आज भी उन्हें ढो रहे है अगर इन कानूनों से ही इंसाफ मिलता तो हमारे कोर्टो में तीन करोड़ मुकदमे लंबित नहीं होते
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