"सज़ायाफ्ता" चुनाव प्रत्याशी

गुरुवार, मार्च 19, 2009

चर्चित मधुमिता हत्या कांड के मुख्य आरोपी और सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा दोषी साबित किये जा चुके पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी की ज़मानत याचिका दायर कर रहे हैं ताकि वो चुनाव ल़ड़ सकें..आपको बता दें कि अमरमणि त्रिपाठी को सीबीआई की विशेष अदालत आजीवन कारावास की सजा़ सुना चुकी है। और फिलहाल वर्तमान में वो अभी जेल का मज़ा उठा रहे हैं। इस सज़ा पर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका भी डाल रखी है...इनका कहना है कि जब तक सुनवाई चल रही है तब तक के लिए उन्हें ज़मानत दे दी जाए..कारण सुन कर मेरे भाईयों आप हैरान हो जायेंगे..अमरमणि ने कारण दिया है कि उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ना है इसलिए उन्हें तब तक के लिए ज़मानत दे दी जाए....अरे यार ये नेता तो आम लोगों को बेवकूफ समझते हैं क्या...अमरमणि को क्या लगता है जनता उन्हें वोट देगी...उन्हें खुद का वोट भी मिल जाए तो ही वो ख़ैर समझे....अमरमणि जैसे कई नेता हैं जो इन चुनाव में प्रत्याशी हैं जिन्हें जेल में सड़ना चाहिए वो नेता बनकर ख़ून चूसने को तैयार हो रहे हैं...उनकी भी गलती नहीं है हम है दोषी जो ऐसे चोरों लुटेरों को वोट देते हैं..गुस्सा तो बहुत है ऐसे नेताओं पर सोचता हूं दोषी हम देशवासी हैं या हमारी डरपोंक देशभक्ति है जो इन जैसों को चुनाव में खड़े होने देती है या ये कहें कि संविधान का इस्तेमाल ये लोग ज्यादा जानते हैं.....

"क्रिकेट" और"बॉलीवुड" की "जय हो"

लोकसभा चुनाव के घमासान से पहले आईपीएल के लफड़े से वैसे ही लोग परेशान हैं। और दूसरी ओर ऑस्कर विजेता ए.आर रहमान की धुन से चुनाव जीतने की जुगत में लगी है, यूपीए सरकार । सुरक्षा को लेकर पहले से ही देश परेशान है और अब हमारे देश के कुछ 'सांप्रदायिक लोग' जैस ललित मोदी आईपीएल के लिए खिलाड़ियों की सुरक्षा के लिए जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं । सांप्रदायिक कहने का मेरा तात्पर्य था कि हमारे भारत देश में क्रिकेट एक धर्म हो चुका है और ललित मोदी न चुनाव देख रहे हैं और न ही खिलाड़ियों की सुरक्षा व्यवस्था क्योंकि अगर चुनाव होगें तो खिलाड़ियों का सुरक्षा कैसे मिल सकेगी और अगर उन्हें मिली तो हम आम जनता का क्या होगा,और वो क्रिकेट को लेकर कुछ भी नहीं सोच रहे हैं... मै तो ललित मोदी से कहुंगा कि अरे भाई साहब देश में चुनाव पांच साल बाद आते हैं और आपका आईपीएल तो हर साल आता है तो कम से कम इस साल तो कुछ आराम दीजिए.. दर्शकों को चुनाव के इस खेल का आनंद लेने दीजिये....शीर्षक तो मैने अपने चिठ्ठे का दिया है 'क्रिकेट और बॉलीवुड की जय हो'...क्रिकेट की चर्चा मै कर चुका और बॉलीवुड की चर्चा की वो इसलिए क्योंकि अगर बॉलीवुड न होता तो कई लोगों का सपना नेता बनकर देश चलाने का सपना अधूरा रह जाता ...यही नहीं कई पार्टीयां तो फ़िल्म स्टार को चुनावी मैदान में उतारती हैं तो कोई संगीत को ही अपना तारणहार समझ रही है..यार ये राजनेता हम आम आदमियों को कब तक बेवकूफ़ समझते रहेंगे....हर साल एक ही तरह के वादे और इरादे ज़ाहिर करेंगे ...सपा अगर बॉलीवुड की प्रोडक्शन पार्टी है तो कांग्रेस म्युज़िक लवर पार्टी है...बीजेपी भी कम पीछे नहीं है....चुनाव आने वाले हैं इस बार उसे ही वोट डालें जो बकवास कम करता हो औऱ सच में उसने आपके लिए कुछ किया हो...सिर्फ इस बीच नहीं अपने राज में हर बार और....नोट के लालच में आकर वोट न डालें नहीं सपने दिखाकर गढ्ढे में गिराना पुराना खेल है कुछ राजनेताओं का ......

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