देश में बात मनवाने का रास्ता सिर्फ हिंसा

गुरुवार, दिसंबर 24, 2009

जो लोग अखबार पढते है या जरा सा भी देश के प्रति जागरुक रहते है उनके दिमाग में ये सवाल पता नहीं कौंधा है या नहीं। पिछले साल राजस्थान में आरक्षण के लिये धमाचौकड़ी मची। काफी खून बहा और साथ ही सरकारी संपत्ति के नुकसान का अनुमान न ही लगाओ तो बेहतर है। क्योंकि इस मामले पर तो सुप्रीम कोर्ट भी गुर्जरों की कुछ नहीं उखाड़ पाया। मजेदार बात ये है कि इस मुद्दे ने वहा की सरकार को हिला दिया। लेकिन दुख की बात ये है कि गुर्जरों को आरक्षण मिल गया। दूसरो के कुछ भी सोचने से पहले मै बता दूं कि मै आरक्षण का पुरजोर विरोधी हूं क्या करुं जनरल कटैगरी में पैदा हुआ हूं इसलिये इसका गम झेलते हुए दुख होता है इसलिये बोलना मेरा अधिकार है। यहां बात हो रही है गांधी के उस देश की जहां बिना हिंसा के कोई काम नहीं होता है। चाहे गुर्जरों का आऱक्षण हो या तेलंगाना का मुद्दा।

केंद्र सरकार ने चंद्रशेखर राव और तेलंगाना समर्थकों को गजब की चालाकी से बेवकूफ बनाया। पहले तो मान गये बाद में नेताओं वाली फितरत दिखा कर अपना बयान वापस ले लिया। और मरते क्या न करते क्योंकि तेलंगाना राज्य का मुद्दा कांग्रेस सरकार के लिये गले की हड्डी बन गया है। तेलंगाना के लिये भी लोगों ने हिंसा का रास्ता ही अपनाया, तभी ये मामला सरकार की नज़रो में आया। ये अलग बात है कि दिखावे के लिये चंद्रशेखर राव ने भूख हड़ताल की थी लेकिन जब छात्रो ने हल्ला मचाना शुरु किया तभी सरकार के कानों पर जूं रेंगी है। अहिंसा के देश में आज हिंसा के बिना कुछ नहीं होता है। लेकिन गांधी का देश गांधा का देश कहत कहते हम नहीं चूकते है।

अब इसमें गलती किसकी है पता नहीं पर अब हर उस नेता को जिसको मुख्यमंत्री बनने का कीड़ा है वो उनके अंदर फिर से दौड़ेने लगेगा । मायावती भी उत्तर प्रदेश को तीन भागों में बांटने की तैयारी कर रही है अभी तक वो पूरे उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बना रही थी मुर्ति बना बना कर। अब वो उत्तर प्रदेश को हरित और पूर्वाचल करने की तैयारी में है। हां ठीक ही है इसी बहाने मंत्रियों का संख्या बढ़ेगी। आम लोगों की जेब का पैसा भ्रष्ट नेताओं के स्विस खातों में जायेगा। और इमानदारी की आड़ में सारे काम हो जायेगे। प्रदेश के विकास के नाम पर करोड़ो रुपये आयेगे। और वो सीधे इटरनेट के ज़रुये स्विट्जरलैंड के टूर पर निकल जायेगे।

हाय रे देश
क्या होगा तेरा
नेताओं की शक्ल में
राक्षसों ने डाला डेरा

अब तो तेरा भगवान ही मालिक है

2 टिप्पणियाँ:

Udan Tashtari ने कहा…

हाय रे देश
क्या होगा तेरा
नेताओं की शक्ल में
राक्षसों ने डाला डेरा

-इसे राष्ट्रीय गीत बना देना चाहिये.

बी. एन. शुक्ल ने कहा…

बहुत सही बात कही है। किसी ने कहा है कि अब तो भगवान भी इस देश का कुछ नही कर सकता।

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