कौन जीता, यूपीए या गांधी परिवार

रविवार, मई 17, 2009


चुनाव के नतीजे सामने आ गये है और ये तो साफ हो गया कि पिछली सरकार इस बार भी सरकार बनायेगी...और हो सकता है कि देश को एक स्थिर सरकार देकर देश का विकास पर ध्यान देगी...लेकिन सवाल उठता है कि देश का उतना विकास हुआ जितना होना चाहिए था या नहीं...देश पर कई संकट आये और कुछ तो चले गये और कुछ धीरे धीरे जा रहे हैं॥लेकिन एक बात पर ध्यान देना ज़रुरी है कि पांच साल की सरकार में विकास के लिए जो काम हुए या कहे कि आम आदमी को फायदा पहुंचाने वाले जितने काम हुए वो पिछले दो सालों में हुए...चाहे पेट्रोल डीज़ल की कीमत में कमी हो या बढ़ती मंहगाई पर काबू पाने की जुगत...लेकिन इन बातों को छोड़ दें तो दाद देनी होगी मनमोहन सिंह की॥जिन्होने खुद पर लग रहे कमज़ोर के लेबल से पार पाकर फिर से सरकार के नये प्रधानमंत्री पद के दावेदार हैं....लेकिन कमज़ोर और निर्णायक प्रधानमंत्री इस बार बन पायेंगे या नहीं इस बात में अभी भी संदेह है क्योंकि अभी भी वो ये कहते दिख रहे हैं कि राहुल गांधी उनके मंत्रीमंडल में शामिल हो जायें...मै ये नहीं कहता कि राहुल को नहीं शामिल नहीं होना चाहिए बल्कि मै तो राहुल का समर्थक हूं पर मै एक प्रधानमत्री को ये कहते हुए पसंद नहीं कहुंगा कि वो दूसरे को प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रुप में सुझाये...इसक मतलब मनमोहन जी देश चलाने में सक्षम नहीं हैं....खैर बधाई हो यूपीए को जिन्होने साबित किया कि विकास का मुद्दा ही देश में चुनाव जिताता है न कि सांम्प्रदायिकता का ज़हर....लेकिन काम अब शुरु हुआ क्योकि अब वो एक स्थिर सरकार चला सकते हैं...और पिछले छूटे हुए कुछ कामों को करवा सकते हैं....और देश के विकास की पैसेंजर को एक्सप्रेस बना सकते हैं...

1 टिप्पणियाँ:

वीनस केसरी ने कहा…

हम तो राजनीति से दूर ही रहते है इस लिए इस पोस्ट पर नो कमेन्ट

वीनस केसरी

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