कुवांरेपन का सौदा "कितना सही"

शनिवार, मई 23, 2009


आज कल कुछ चर्चाएं गर्म हैं जैसे लांस एजेलिस की एक युवती ने अपने कुंवारेपन का सौदा करना चाहती है। औऱ वो सिर्फ इसलिए कि क्योंकि उसको अपनी पढाई जारी करने के लिए पैसो की जरुरत है। कॉलेज की फीस के लिए ऐलेना अपना कुंवारापन बेचना चाहती है। कुछ महीने पहले भी एक युवती ने इंटरनेट पर अपने कुंवारेपन को बाकायदा नीलामी करवाई थी। और उस वक्त भी कारण कॉलेज की फीस जमा करना ही था। इस बार भी ऐलेना कॉलेज की फीस जमा करने के लिए इंटरनेट पर बाकायदा अपने कुंवारेपन की नीलामी के लिए बोलियां लगवा रही हैं। सिर्फ ऐसा ही नहीं है कि नीलमी करवा रही है बल्कि लोगों में इस नीलामी में उंची से उंची बोली लगाने की होड़ भी लगी हुई है। ऐलेना के बारे में पता चला है कि वो रोमानिया की रहने वाली है। अभी तक की उनके कुंवारेपन पर लगने वाली सबसे बड़ी बोली है ५००० पाउंड। लेकिन मैडम ऐलेना का अंतिम लक्ष्य है लगभग लगभग ३०,००० पाउंड। आप देख सकते हैं कि किस तरह एक लड़की अपने कुंवारेपन की नीलामी बड़े बेबाक अंदाज़ में करवा रही है। इंटरनेट पर एक साइट पर अपने इंटरव्यू में उन्होने इस बात का ख़ुलासा किया है। पहले नताली डायलिन ने भी अपने कुंवारेपन की नीलामी की थी उस वक्त उनके कुंवारेपन की कीमत लगी थी ५.६ मिलियन डॉलर।नताली ने भी शिक्षा के लिए अपना कुंवारापन नीलाम किया था और इसका आइडिया दिया उनका बड़ी बहन एविया, एविया की ख़बर ये है कि एविया भी अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए वैश्यावृत्ति का सहारा लिया था। उन्होने ही नताली को अपने कुंवारेपन की नीलामी करवाने की सलाह दी थी। नताली से प्रेरित होकर अब ऐलेना भी अपने कुंवारेपन की बोली लगवा रही हैं। सवाल ये उठता है कि अमेरिका जैसे विकसित देशों या कहे कि यूरोप में इस तरह हरकत को क्या नाम दिया जा सकता है क्यों कि अगर इसे वैश्यावृत्ति का नाम देगे तो इतने खुले विचारों के साथ वैश्यावृत्ति पर कानून हल्का साबित होता है। और कुंवारेपन की नीलामी करवाने वाली इन ल़डकियों ने बाकायदा कानूनी रुप से खुद को मजबूत करने के लिए वकील का इंतज़ाम भी कर रखा है।

गरीब देश के करोड़पति सांसद

सोमवार, मई 18, 2009

15वीं लोकसभा में जहां हर दूसरा सांसद करोड़पति है, वहीं हर चौथे सांसद के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज है। नवनिर्वाचित सांसदों में से 300 की संपत्ति करोड़ों में हैं। वहीं 150 सांसद ऐसे हैं, जिनके एक या एक से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं। यह विश्लेषण नेशनल इलेक्शन वॉच नामक संस्था ने प्रत्याशियों द्वारा दाखिल शपथ पत्र के आधार तैयार किया है। विश्लेषण के मुताबिक, नवनिर्वाचित सांसदों में से 73 के खिलाफ संगीन मामले दर्ज हैं, यह आंकड़ा पिछली लोकसभा के ऐसे सांसदों से 30.9 फीसदी ज्यादा है। पिछली लोकसभा में 128 सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले और 55 के खिलाफ संगीन मामले विचाराधीन थे। यूपी से सबसे ज्यादा दागी सांसद हैं। राज्यों के आधार पर 15 वीं लोकसभा में सबसे ज्यादा उत्तरप्रदेश से निर्वाचित 30 सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले में हैं। इसके बाद महाराष्ट्र (23) व बिहार (17) का स्थान है। मध्यप्रदेश के 4, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान व छत्तीसगढ़ के दो-दो व दिल्ली के एक सांसद के खिलाफ आपराधिक मामला है। करोड़पति सांसदों में भी यूपी आगे हैकरोड़पति सांसदों में भी उत्तरप्रदेश (52) यूपी सबसे आगे है। इसके बाद महाराष्ट्र (37) व आंध्र प्रदेश (31) का स्थान है। मध्यप्रदेश के 15, राजस्थान के 14, पंजाब के 13, गुजरात के 12, हरियाणा के 9, दिल्ली के 7, हिमाचल प्रदेश के 3 और छत्तीसगढ़ के 2 व चंडीगढ़ का एक सांसद करोड़पति है। सबसे धनवान सांसद खम्मम से टीडीपी के नामा नागेश्वर राव (173 करोड़ रुपए) हैं। दूसरा स्थान हरियाणा के कुरुक्षेत्र से नवीन जिंदल (131 करोड़ रुपए) का है।

करोड़पति सांसदो की गिनती हर पार्टी के हिसाब से

कांग्रेस : 138, भाजपा : 58, सपा : 14, बसपा : 13,डीएमके : 11, शिवसेना : 9, जेडीयू : 8,बीजेडी : 7,एआईटीसी : 6,शिरोमणि अकाली दल : 6,

राहुल तेरे वादे.....


यूपी में राहुल इफेक्ट के चलते कांग्रेस को यूपी में तो कम से कम जीत मिली है॥और यहां तक कि कांग्रेस को इस लोकसभा चुनाव में जीत के कर्ताधर्ता भी असल में राहुल गांधी ही रहे हैं॥यूं तो इस बार कांग्रेस औऱ यूपीए को इन चुनावों में भारी सफलता मिली है...और भविष्य के प्रधानमंत्री के प्रबल दावेदार राहुल गांधी ने इन चुनावों गांधी होने का भरपुर फायदा भी उठाया॥क्योंकि अगर वो गांधी परिवार से न होते तो शायद उन्हें जीत के लिए शायद काफी जूते चप्पलें घिसनी पड़ती॥लेकिन ये राहुल के ओजस्वी भाषणों का ही परिणाम है कि यूपीए ने शानदार जीत दर्ज की है...इन सबके पीछे राहुल गांधी के वादों की चर्चा भी काफी गर्म रहीं...ये वादों का ही नतीजा है कि भारत की जनता ने राहुल के नये विचारों को अपनाया और राजीव गांधी के अक्स वाले इस गाँधी को ही जीत का सेहरा पहनना पड़ रहा है...और ये सच भी है राहुल गांधी की वजह से कांग्रेस को फायदा हुआ है....राहुल गांधी के वादों में कितना दम है ये तो अब पता चलेगा क्यों जितना किसी बात को कहना आसान होता है उससे कहीं ज्यादा कठिन उस बात को प्रैक्टिकली करना...इसलिए वादों औऱ राहुल के इरादों पता तो चलेगा॥कि राहुल की बातों मे कितना दम है औऱ पार्टी के हाईकमान कहां तक उनके विचारों अपनाते हैं...

कौन जीता, यूपीए या गांधी परिवार

रविवार, मई 17, 2009


चुनाव के नतीजे सामने आ गये है और ये तो साफ हो गया कि पिछली सरकार इस बार भी सरकार बनायेगी...और हो सकता है कि देश को एक स्थिर सरकार देकर देश का विकास पर ध्यान देगी...लेकिन सवाल उठता है कि देश का उतना विकास हुआ जितना होना चाहिए था या नहीं...देश पर कई संकट आये और कुछ तो चले गये और कुछ धीरे धीरे जा रहे हैं॥लेकिन एक बात पर ध्यान देना ज़रुरी है कि पांच साल की सरकार में विकास के लिए जो काम हुए या कहे कि आम आदमी को फायदा पहुंचाने वाले जितने काम हुए वो पिछले दो सालों में हुए...चाहे पेट्रोल डीज़ल की कीमत में कमी हो या बढ़ती मंहगाई पर काबू पाने की जुगत...लेकिन इन बातों को छोड़ दें तो दाद देनी होगी मनमोहन सिंह की॥जिन्होने खुद पर लग रहे कमज़ोर के लेबल से पार पाकर फिर से सरकार के नये प्रधानमंत्री पद के दावेदार हैं....लेकिन कमज़ोर और निर्णायक प्रधानमंत्री इस बार बन पायेंगे या नहीं इस बात में अभी भी संदेह है क्योंकि अभी भी वो ये कहते दिख रहे हैं कि राहुल गांधी उनके मंत्रीमंडल में शामिल हो जायें...मै ये नहीं कहता कि राहुल को नहीं शामिल नहीं होना चाहिए बल्कि मै तो राहुल का समर्थक हूं पर मै एक प्रधानमत्री को ये कहते हुए पसंद नहीं कहुंगा कि वो दूसरे को प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रुप में सुझाये...इसक मतलब मनमोहन जी देश चलाने में सक्षम नहीं हैं....खैर बधाई हो यूपीए को जिन्होने साबित किया कि विकास का मुद्दा ही देश में चुनाव जिताता है न कि सांम्प्रदायिकता का ज़हर....लेकिन काम अब शुरु हुआ क्योकि अब वो एक स्थिर सरकार चला सकते हैं...और पिछले छूटे हुए कुछ कामों को करवा सकते हैं....और देश के विकास की पैसेंजर को एक्सप्रेस बना सकते हैं...

१६ मई को सबके भाग्य का फैसला

शनिवार, मई 16, 2009


जी हां १६ को हो रहा है सबके भाग्य का फैसला॥इस देश के भाग्य का हर प्रदेश के भाग्य का...साथ ही हर नेता के भाग्य का फैसला भी होगा.....न सिर्फ नेता का बल्कि हर उस व्यक्ति का जिसने अपना नेता चुना है वोट देकर॥। मै यहां जो बात कहने वाला हूं उसको समझने का कोशिश करें तो आप पायेंगे कि कितना बड़ा धोखा होता है हमारे साथ....चुनाव तक आपको हमको अपने कार्यों और वादों के पाठ पढ़ाने के साथ ही साथ वोट का मांगने वाले नेता के चहेते अब बदलने लगे हैं,॥ अब शुरु हुआ है असली खेल॥जोड़ तोड़ का खेल,॥लेन देन का खेल...पैसों के हेर फेर का खेल अभी तो सिर्फ जोड़ तोड़ का राजनीति शुरु हुई है लेकिन १६ मई के बाद होगा पैसों के लेन देन का सिलसिला...एक नेता दूसरे नेता को खरीदने के लिए बोली लगायेगा...कट्टर दुश्मन एक दूसरे के दोस्त नज़र आने लगेगें...एक दूसरे को फूटी आंख न भाने वाले अब एक दूसरे को देखे बगैर जी नहीं पायेंगे.....जिनके कार्यों को गालियां देकर आपसे हमसे वोट की अपील करने वाले अब अपने दुश्मनों के गले में गलबहियां करते दिखाई देंगे...तब आप आपने आप को ठगा सा महसूस करेंगे...क्यों कि जिसको आपने वोट दिया था वहीं अब आपको ठेगा दिखाकर अपनी मनमर्जी करेगा और वोटर्स फिर से पांच साल के लिए बेवकूफ बना रहेगा...क्यों कि सभी वोटर्स चुनाव के मौसम में ही भगवान नज़र आते हैं लेकिन वोट देने के बाद बस वो सिर्फ एक वोट बनकर रह जाते है...सिर्फ एक वोट और कुछ नहीं....किसी भी नेता को फर्क नहीं पड़ता कि जिसने उसे चुना है वो उसकी फिक्र करने की सोचे...अब जिस नेता को आपने वोट दिया है वो ही आपको ठेगा दिखाकर खुद की का सिर कढ़ाई में डालने की जुगत में लग चुका है और क्यों वोटर्स का काम बस यहीं तक है कि वो वोट देकर जाएं और आपने काम में लगे और राजनीति का काम राजनेताओं के सिर पर छोड़ दें....इस लिए कह रहा हूं कि १६ मई को सभी के भाग्य का फैसला होने वाला है...अरे आम जनता का नहीं नेताओं का और किसी का नहीं आप गलत सोच रहे थे॥मै आपके बारे में नहीं कह रहा था...मै तो नेताओं की बात कर रहा हूं क्योंकि आपका यानी वोटर्स का काम ख़त्म हो चुका है...अब काम शुरु हुआ है जोडू तोडू राजनीति का और वहां हमारा काम ओवर...चलो वोटर्स अब अपने काम पर चलो काम करो ...सेवा समाप्त

Related Posts with Thumbnails